अर्थव्यवस्था के मुद्दे को लेकर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिं’ता जताई है। सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार का घे’राव करते हुए 5 ट्रिलियन इकोनॉमी को असंभव बताया, तो वहीं पूर्व पीएम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए कठिन समय आ रहा है।
If I say doubling GDP to $ 5 trillion from 2019-20 to 2024-25 means GDP growth rate of 14.8% per year, and If also I say present economic policy cannot achieve anywhere near that rate, does it mean I am attacking Modi? Do I have a Galileo problem?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 23, 2021
स्वामी ने ट्वीट किया कि अगर मैं 2019-20 से 2024-25 तक देश की जीडीपी को दोगुना करके 5 ट्रिलियन डॉलर करने की बात करता हूं तो इसके लिए मुझे हर साल जीडीपी विकास दर 14.8 प्रति वर्ष की जरूरत होगी औऱ अगर मैं ये कहूं कि मौजूदा आर्थिक नीति उस दर को कभी हासिल नहीं कर पाएगी तो क्या मैं मोदी के खि’लाफ बोल रहा हूं, उन्होंने पूछा कि क्या मुझे गै’लीलियो वाली समस्या है।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि यह हाल 1991 जैसे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तैयार रहना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था का हाल 1991 जैसा ही होने वाला है।
पूर्व पीएम ने कहा कि यह वक्त खुश होने का नहीं बल्कि आत्म मंथन का है। आगे का रास्ता 1991 के संकट से भी ज्यादा चु’नौतीपूर्ण होने वाला है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपनी प्राथमिकताओं को तय करना होगा ताकि हर भारतीय नागरिक के लिए स्वस्थ और गरिमामयी जीवन सुनिश्चित हो सके।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 1991 के एतिहासिक बजट के 30 साल पूरे होने के मौके पर मौजूदा स्थिति पर चिं’ता जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण करो’ड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र हम पीछे छूट गए हैं, इतनी सारी नौकरियां और जिंदगियां नहीं जानी चाहिए थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री थे। उन्होंने 24 जुलाई 1991 को अपना पहला बजट पेश किया था। जानकार इसे देश में आर्थिक उदारीकरण की बुनियाद मानते हैं। इस मौके पर अपनी बात रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने कांग्रेस के कुछ साथियों के साथ मिलकर सुधारों की इस प्रक्रिया में भूमिका निभाई।