भाजपा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने देश की चिं’ताएं बढ़ाते हुए कहा है कि मुसीबत की इस घड़ी में चीन ने अपनी सेना, पीएलए की अतिरिक्त कुमुक वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार लद्दाख में भेज दी है ताकि भविष्य में वह ह’मला कर सके।
शुक्रवार को किए गए अपने ट्वीट में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि हम लोग भी तैयार हैं लेकिन हमको लोगों की जान के रूप में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने पहले गलती की। हमें चीनी सैनिकों के वापस जाने तक कैलाश रेंज से हटना ही नहीं चाहिए था।
साथ ही दूसरे ट्वीट में डॉ स्वामी ने कहा कि उन्होंने 2015 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके आवास पर चीन की चालबाजी के बारे में बताया था। बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में यही बात अमित शाह को भी बताई गई थी। लेकिन सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया। मेरी इन बातों को सुनकर प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब ही नहीं दिया था और अमित शाह ने तो यह बात ही खारिज कर दी थी। भाजपा सांसद ने कहा कि अगर उसी वक्त चेतावनी पर ध्यान दिया गया होता तो आज यह दिन न देखने पड़ते।
I must inform that at this hour of crisis that China has send additional PLA troops into Ladakh across the LAC for an attack in the near future. We are also well prepared but it will be at a heavy human cost. We should never have given up Kailash Range without Chinese withdrawal.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 7, 2021
सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के इन दावों पर ना तो सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है और ना ही भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कुछ भी बातें कही गई है। हालांकि ट्विटर पर काफी लोगों की प्रतिक्रिया देखने को मिली। उनके इस ट्वीट पर एक यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि डॉ सुब्रमण्यम स्वामी चीन के विशेषज्ञ हैं, इसलिए उनकी बात पर ध्यान देने की जरूरत है।
वैसे सुब्रमण्यम स्वामी इन दिनों लगभग रोज ही ट्विटर पर कुछ ऐसी बात छे’ड़ देते हैं जो सरकार को या भाजपा के लोगों के लिए मु’श्किलें खड़ी करने वाली होती है। कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि हिन्दुत्व के रथ पर अप’राधी सवार हो गए हैं जो कि हिन्दुओं के शत्रुओं को फायदा पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने एक दिन कोविड से ल’ड़ने में सरकारी अक्षमता की बात कही और प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा कि कोविड से ल’ड़ने का काम वे नितिन गडकरी को सौंप दें क्योंकि यह काम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बस का नहीं है।