सोनिया गांधी के मास्टर स्ट्रोक के बाद बैकफुट पर आई मोदी सरकार, फिर किया ये ऐलान

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार सुबह प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का रेल किराये का भुगतान कांग्रेस की तरफ से किए जाने का एलान करके एक बड़ा सियासी दांव खेला है। सोनिया के इस एलान के बाद केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई है।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सोनिया के इस मॉस्टर स्ट्रोक की भूमिका रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष की पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से हुई लंबी बातचीत के बाद बनी। राहुल ने इस पर कोरोना को लेकर गठित कांग्रेस के कोर ग्रुप के कुछ विश्वस्त सदस्यों से भी चर्चा की थी।

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के यहां अपने संपर्कों के जरिए इसका संकेत मिलते ही कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने रविवार को ही प्रदेश कांग्रेस की तरफ से कर्नाटक सरकार को एक करोड़ रुपये के चेक का भुगतान करके इसकी अघोषित शुरुआत भी कर दी।

सोनिया की घोषणा के बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके जानकारी दी कि उनकी इस मुद्दे पर रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है और रेल किराये का भुगतान केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर करेंगी।

सोनिया गांधी की घोषणा के बाद कांग्रेस कोषाध्यक्ष और सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने ट्वीट करके सभी प्रदेश इकाइयों से स्थानीय स्तर पर सभी संभव संसाधन जुटाने और मजदूरों के रेल किराए का भुगतान करने को कहा है।

पटेल ने यह भी कहा कि अगर किसी इकाई को किसी तरह की सहायता की जरूरत हो तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से संपर्क किया जा सकता है।

सोमवार की सुबह आठ बजे जारी अपने बयान में सोनिया गांधी ने सिर्फ चार घंटे की मोहलत देकर देशव्यापी लॉकडाउन करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की और उसके बाद देशभर में हुए प्रवासी मजदूरों और गरीबों के पैदल पलायन की तुलना 1947 के देश विभाजन के बाद हुए पलायन से की है।

सोनिया ने विदेशों से लोगों को हवाई जहाज से निःशुल्क लाने और गुजरात में नमस्ते ट्रंप में सौ करोड़ रुपए खर्च करने और रेलवे की तरफ से पीएम केअर्स फंड में करीब 150 करोड़ रुपये देने का जिक्र करते हुए गरीब मजदूरों पर रेल किराये का बोझ डालने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए घोषणा की कि कांग्रेस की सभी प्रदेश इकाइयां अपने अपने राज्यों में मजदूरों के रेल किराए का भुगतान करेंगी।

कांग्रेस अध्यक्ष की इस घोषणा के बाद भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि उनकी रेल मंत्री पियूष गोयल से बात हुई है और मजदूरों के रेल किराए के 85 फीसदी का भुगतान केंद्र सरकार और शेष 15 फीसदी का भुगतान राज्य सरकारें करेंगी।

जल्दी ही सरकार इसकी अधिकृत जानकारी देंगी। स्वामी भी मजदूरों से रेल किराए न लिए जाने की मांग केंद्र सरकार से लगातार कर रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष के करीबी सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी प्रवासी मजदूरों की समस्या को लेकर लगातार पार्टी नेताओं से बात कर रही थीं और सोशल मीडिया और मीडिया पर जिस तरह मजदूरों की घर वापसी की छटपटाहट, सैकड़ों मील की दूरी पैदल तय करने की खबरें देख सुनकर, वह चाहती थीं कि पार्टी इस मुद्दे पर कोई सार्थक पहल करे।

मुख्यमंत्रियों के दबाव में जब केंद्र ने विशेष रेलगाडियां चलाने का फैसला किया, लेकिन किराये का बोझ मजदूरों पर डाल दिया, उसके बाद सोनिया ने अपने भरोसेमंद सलाहकारों से इस मुद्दे पर बात की।

इसके बाद रविवार को उनकी और राहुल गांधी की लंबी बातचीत हुई और इसके बाद तय किया गया कांग्रेस इस खर्च को वहन करे। एक सुझाव था कि सिर्फ जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, वे रेल किराए का खर्च वहन करें, इससे भाजपा और अन्य दलों की सरकारों पर भी दबाव पड़ेगा।

लेकिन राहुल गांधी ने सभी राज्यों में मजदूरों का रेल किराया कांग्रेस की तरफ से देने पर जोर दिया। इसके बाद तय हुआ कि पार्टी की सभी प्रदेश इकाइयां यह खर्चा वहन करें और जिन इकाइयों के पास आर्थिक संसाधनों का संकट होगा,उन्हें केंद्रीय संगठन से मदद दी जाएगी।