सुधीर चौधरी के इस बयान पर लोगों ने एंकर को बुरी तरह धोया

25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन के बीच करीब डेढ़ माह बाद शराब की दुकानें खुली हैं। 4 मई से 17 मई तक जारी लॉकडाउन के तीसरे फेज में सरकार ने तमाम रियायतों के साथ शराब के ठेकों को भी खोलने की मंजूरी दी थी।

ठेके खुलने के बाद शराब लेने के लिए लोग सुबह से ही कतारों में लग गए। हाल ये हुआ कि देश के कई हिस्सों में शराब के ठेकों के बाहर करीब 2-2 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई। ठेकों के बाहर लोगों की लंबी कतारों के तमाम वीडियो औऱ तस्वीरें सामने आई हैं।

ठेके के बाहर लोगों की लंबी कतारों पर जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी ने एक ट्वीट किया। अपने इस ट्वीट के लिए सुधीर चौधरी ट्रोल हो रहे हैं।

दरअसल हुआ ये कि सुधीर चौधरी ने शराब लेने के लिए लाइनों में लगे लोगों पर हमला बोलते हुए लिखा कि शराब के लिए पैसे हैं लेकिन रेल के भाड़े के लिए नहीं।

https://twitter.com/Huzaifah_Masood/status/1257253628492070912?s=20

सुधीर चौधरी ने अपने इस ट्वीट में रेल भाड़ों का जो जिक्र किया उसी को लेकर लोग उनपर भड़क गए। भड़के सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल करने लगे। लोग लिखने लगे कि जो लोग लाइनों में खड़े हैं वो कोई प्रवासी मजदूर नहीं हैं। वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि आप ट्वीट करने से पहले अपनी छोटी सोच को किनारे क्यों नहीं रखते हो।

https://twitter.com/alfadog_2300/status/1257217384839909376?s=20

बहुत से यूजर्स ऐसे भी रहे जो सुधीर चोधरी पर निजी हमला करने लगे। ऐसे यूजर्स ने उनके लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है जिसे यहां पर दर्शाया भी नहीं जा सकता। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी रहे जो सुधीर चौधरी की बात से इत्तेफाक रख रहे हैं।

अल्फ़ा डॉग नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘तिहाडी से बेशर्म इंसान तो ढूंढे नहीं मिलेगा मोदी का उल्लू सीधा करने के लिए वफादारी साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगा अर्नब गया है तू भी जाएगा अंदर याद रखना’

सवित निषाद नाम की एक यूजर ने लिखा, ‘भाजपा के पास तुझे और विधायक खरीदने के लिए पैसे हैं पर गरीबों के लिए नहीं हैं’

आकाश बनर्जी ने लिखा, ‘घोर कलयुग !! जब दिल्ली में बीजेपी हारी तो दिल्ली वाले बन गए मुफतखोर अब जब लोगों को वापस भेजने के लिए पैसे नहीं है सरकार के पास….तो दिल्ली वाले बन गए हैं दारूबाज! खुद सरकार अपना पक्ष इतनी अच्छी तरीके से नहीं रख पाएंगे जितना  सुधीर चौधरी करते हैं’

जाकिर अली त्यागी ने लिखा, ‘सरकार के पास विज्ञापन में मुँह चिपकाने के लिए हज़ारो करोड़ है लेकिन गरीब मज़दूर तबके को  रेलगाड़ी में फ्री में सफ़र कराने की क्षमता नही है,स्टेचू ऑफ यूनिटी बनवाने के लिए 3 हज़ार करोड़ है लेकिन महामारी में भूखे प्यासे रहकर पैदल घर जा रहे मज़दूरो के लिए रुपया बिल्कुल भी नही है।‘

एक यूजर ने लिखा, ‘तिहाड़ी, यह लोकल बाशिंदे हैं, प्रवासी मजदूर नहीं ! हर जगह अपने खोखले दिमाग की प्रदर्शनी मत लगाया कर!’

एक और यूजर ने लिखा, ‘तिहाड़ी ,  लेकिन तेरे पास तो  2000 के नोट में नैनों चिप ढूंढने का और फेक न्यूज चलाने का समय ही समय है , वही कर , कृपा बनी रहेगी !!’