भारत रत्न और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में सोमवार को नि’धन हो गया. वो लंबे समय से बीमा’र चल रहे थे. दिल्ली के आ’र्मी अस्पता’ल में उन्होंने अं’तिम सांस ली. केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में 7 दिवसीय राष्ट्रीय शो’क की घोषणा की है. उनका मंगलवार को दिल्ली में अं’तिम सं’स्कार किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के नि’धन पर दु’ख व्यक्त किया. पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी के नि’धन पर पूरा देश दु’खी है, वह एक स्टेट्समैन थे. जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है. पीएम मोदी के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी पूर्व राष्ट्रपति के नि’धन पर शो’क व्यक्त किया.
प्रणब मुखर्जी के नि’धन पर बंगाल की मम’ता सरकार ने भी 1 सितंबर को राज्य में शो’क घोषित किया है. सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे. राज्य पु’लिस दिवस समारोह भी 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया है. बता दें कि प्रणब मुखर्जी कोरो’ना पॉजि’टिव पाए गए थे और उनकी हाल ही में ब्रे’न सर्ज’री भी की गई थी. प्रणब मुखर्जी को ख’राब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली के RR अस्पता’ल में भ’र्ती कराया गया था. उनके मस्ति’ष्क में खू’न का थक्का जमने के बाद स’र्जरी की गई थी, उसी वक्त उनके कोरो’ना पॉ’जिटिव होने की जानकारी मिली थी.
97 फीसदी दया या’चिकाएं खा’रिज की थीं
प्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन क’ठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गु’रेज नहीं किया. राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया या’चिकाओं को लेकर भरपूर स’ख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी द’या याचि’काएं ‘खा’रि’ज की थीं. प्रणब मुखर्जी से ज्यादा द’या याचिकाएं सिर्फ आर वें’कटरमण ने ही खा’रिज की थीं.
प्रणब मुखर्जी साल 2012 में भारत के 13वें राष्ट्रपति बने थे. उन्होंने इससे पूर्व देश के वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री जैसे पदों की ज़िम्मेदारी भी संभाली थी.