एमपी कैबिनेट के विस्तार में चली ‘महाराज सिंधिया’ की मनमानी, शिवराज को मिली बड़ी मायूसी

लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट का गुरुवार को विस्तार तो किया गया, लेकिन नए मंत्रियो को देखकर लगता है बीजेपी का सबसे ज्यादा ध्यान प्रदेश में होने वाले उपचुनावों पर है। उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है जबकि बीजेपी के अपने पुराने नेताओं को कैबिनेट में कम भागीदारी से संतोष करना पड़ा है।

सिंधिया खेमे से 11 मंत्री

शिवराज कैबिनेट में आज जिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, उनमें से 9 ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह पहले से ही मंत्री हैं। इस तरह, सिंधिया-समर्थक 11 पूर्व विधायको को मंत्री बनाया गया है। सिंधिया के साथ कुल 22 पूर्व विधायकों ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन था’मा था। इनमें से आधे मंत्री बन चुके हैं। बाकियों में से भी कुछ को निगम-मंडलों में एडजस्ट किए जाने की च’र्चा है।

अपनों को कम तरजीह

सिंधिया-समर्थकों को एडजस्ट करने की कोशिश में बीजेपी के पुराने नेताओं को मंत्री पद से वं’चित रहना पड़ा है। राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन जैसे वरिष्ठ नेता कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन पाए। ये सभी नेता सीएम शिवराज के करीबी माने जाते हैं और पहले उनकी कैबिनेट का हिस्सा रह चुके हैं। इस बार भी इनकी दा’वे’दारी बेहद मजबूत थी, लेकिन अंतिम लिस्ट में इनके नाम शामिल नहीं किए गए।

शिवराज की नहीं चली

सीएम शिवराज ने इन नेताओं को मंत्री बनाने के लिए हरसं’भव कोशिश की, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अ’ड़ं’गा लगा दिया। केवल शिवराज ही नहीं, प्रदेश बीजेपी के अन्य क्ष’त्र’पों को भी यही हालत है। नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा जैसे क’द्दा’वर नेताओं को भी कैबिनेट विस्तार में कम से सं’तोष करना पड़ा है।

आलाकमान का निर्देश

बीजेपी नेताओं ने प्रदेश स्तर पर नए मंत्रियों की जो संभावित लिस्ट बनाई थी, उसमें सभी बड़े नेताओं के नाम शामिल थे। इसमें पार्टी के अलग-अलग गु’टों का भी पूरा ध्यान रखा गया था, लेकिन दिल्ली में पार्टी आला’क’मान के साथ बैठक में नई लिस्ट बनाई गई।

पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि सिंधिया-समर्थकों को दिए गए आश्वासनों के साथ कोई कंप्रो’माइज नहीं होगा। इस रणनीति पर चलते हुए मंत्रियों के नाम फाइनल किए गए तो बीजेपी के कई मठा’धी’श खेत रहे जबकि करीब चार महीने पहले पार्टी में आए सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री बनने में सफल रहे।

आगे क्या असर

बीजेपी आलाकमान ने पार्टी के पुराने नेताओं को दर’कि’नार कर नए चेहरों को मौका तो दे दिया है, लेकिन इससे पार्टी के पुराने नेताओं में अ’संतोष से इं’कार नहीं किया जा सकता। विंध्य क्षेत्र में राजेंद्र शुक्ला के इलेक्शन मैनेजमेंट से बीजेपी की झो’ली में सीटें गिरी थीं जबकि ग्वालियर-चंबल इलाके में तोमर के समर्थकों ने मेहनत की थी।

मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कैलाश विजयवर्गीय पार्टी का चुनाव मैनेजमेंट संभालते हैं, लेकिन कैबिनेट विस्तार में उनके समर्थकों को ज्यादा जगह नहीं मिल पाई है। अब देखना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में इसका क्या अ’सर देखने को मिलता है।