राज्य के सभी क्षेत्रों में क’र्फ्यू को आंशिक रूप से हटा दिया गया है। निवासियों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच बाहर जाने की अनुमति होगी, सिवाय मक्का में जहां 24 घंटे क’र्फ्यू लागू रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, पहले से अ’लग-थ’लग पड़ चुके इलाके भी पूरी तरह से बंद रहेंगे।
कुछ आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियाँ जिनमें मॉल के अलावा थोक और खुदरा दुकानें भी शामिल हैं, फिर से खुलेगी। वे बुधवार, अप्रैल 29 से 13 मई (रमजान 6-20) तक, दो सप्ताह तक काम कर सकते हैं। हालांकि, ब्यूटी पार्लर, नाई सैलून, जिम, सिनेमा और रेस्तरां जैसे मॉल के भीतर कुछ दुकानें बंद रहेंगी।
राजा का आदेश रमजान के पवित्र महीने के अवसर पर निवासियों को राहत देने के लिए संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों की सिफारिश पर आधारित था। उनके व्यवसायों की प्रकृति के अनुसार, अनुबंधित कंपनियों और का’रखानों को भी समय पर प्रतिबं’ध के बिना अपनी गतिवि’धियों को फिर से शुरू करने की अनुमति है।
सो’शल डिस्टन्सिंग
आदेश ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमोदित एहतियाती और निवारक उपायों का अनुपालन किया जाए।
सुरक्षा एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश दिया जाता है कि हर समय सा’माजिक गड़ब’ड़ी देखी जाती है, और पांच से अधिक लोगों को शामिल करने वाले सा’माजिक समारोहों पर प्रति’बंध लगा रहेगा।
सउदी राजपत्र में बताया गया है कि उल्लंघ’नों और नियमों का उल्लं’घन करने वाले नियमों और नि’र्देशों का उल्लं’घन करने वाली कंपनियों पर निर्धा’रित जुर्मा’ना लगाया जाएगा।
रमदान का महत्व:
इस्लामी चन्द्र कैलेंडर के नौवें महीने को रमदान अल मुबारक या रमदान कहा जाता है। इस पूरे महीने में दुनिया भर के मुसलमान रोजे रखते हैं। रोजे के दौरान दिनभर खाना या पानी कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। रोजा सबके लिए फर्ज है।
माना जाता है कि इसे रखने से आत्मा की शुद्धि, अल्लाह की तरफ पूरा ध्यान और कुर्बानी का अभ्यास होता है। अरबी में रोज़ा को ‘सौम’ कहा जाता है जिसका अर्थ है परहेज करना – ना केवल खाने-पीने से बल्कि बु’रे काम, बु’री सोच और बु’रे शब्दों से भी।
रोजा रखने वाला व्यक्ति न तो गल’त बात कर सकता है और न ही झूठ बोल सकता है और न ही वह किसी की बु’राई कर सकता है। माना जाता है गल’त काम करने से रोजा टूट जाता है। इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है।
शुरुआती 10 दिनों को लेकर कहा जाता है कि इन दिनों में अल्लाह की भरपूर रहमत बरसती है। इसके अगले 10 रोजे मगफिरत के कहे जाते हैं। इन 10 दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग खुदा से माफी मांगते हैं और बचे हुए आखिरी दिनों में लोग जन्नत देने की दुआ मांगते हैं।