सरकारी संपत्ति बेचे जाने पर राकेश टिकैत का मोदी सरकार पर निशाना,बोले-देश की मिट्टी की सौगंध खाने वाले…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (NMP- National Monetization Pipeline) का अनावरण किया। इसके तहत रोड, रेलवे, एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन और गैस पाइपलाइन सेक्टर्स के कम उपयोग वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। सरकार के इस फै’सले की खूब आलोचना हो रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान आंदोलन के अग्रणी नेता राकेश टिकैत ने तंज़ किया है।

मंगलवार को राकेश टिकैत ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मिट्टी की सौगंध खाने वाले आज देश बेच रहे हैं। राकेश टिकैत ने भविष्य पर चिंता जताते हुए कहा है कि अगर बिजली और परिवहन निजी हाथों में चले जाएंगे तो भविष्य कैसा होगा, इसका अंदाज़ लगाया जा सकता है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘स्वदेशी के झंडेबदार आज देश के नवरत्नों को निजी हाथों में सौंपने के लिए आतुर हैं। देश मे विकास के प्रतीक बिजली, परिवहन निजी हाथों में होंगे तो भविष्य क्या होगा आप अंदाज कर सकते हैं। मिट्टी की सौगंध खाने वाले आज देश बेच रहे हैं।’

निर्मला सीतारमण पहले ही ये बात स्पष्ट कर चुकीं हैं कि राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार इस योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक छह हज़ार करोड़ रुपए सरकार जुटाएगी। सरकार का कहना है कि जिन क्षेत्रों की संपत्तियों को 4 वर्ष के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर दिया जाएगा, उसका स्वामित्व सरकार के पास ही रहेगा। 4 वर्षों बाद निश्चित रूप से संपत्तियों को सरकार को वापस किया जाएगा।

योजना के अनावरण के मौके पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस योजना से जो राशि मिलेगी उसका इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण में किया जाएगा। बता दें, वित्त मंत्री ने इस वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में एसेट मोनिटाइजेशन पर विशेष जोर देने की बात कही थी। उन्होंने अपने बजट भाषण में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सार्वजनिक बुनियादी ढांचा संपत्ति के मौद्रीकरण को महत्वपूर्ण वित्तपोषण विकल्प बताया था।

टिकैत के इस ट्वीट पर निखिल नाम के यूजर ने लिखा कि तुम्हारे पास बहुत पैसे हैं, खरीद लो नहीं तो महंगा हो जाएगा। वहीं, पीसफुली पॉलिटिकल ने लिखा और इससे स्वदेशी को कैसे नुकसान होता है? न्यूज अच्छे से पढ़ी भी है या फिर कृषि कानून की तरह, यहां भी बिना पढ़े ही ज्ञान बांट रहे हो?

जबकि, खीमानंद तिवारी नाम के यूजर ने टिप्पणी की कि राकेश जी, आपकी और राहुल की भाषा एक जैसी लगती है। सरकार को देश चलाने के लिए जो सही हो करती है। मगर आप दलाली के चक्कर में सड़कों को बंधक बनाकर क्या संदेश देना चाहते हैं।