6 साल बाद भी असफल रही मोदी सरकर की ये योजना, ऑडिट में सामने आया सच

केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद ग्रामीण विकास के लिए बड़े जो’र-शोर से “सांसद आदर्श ग्राम योजना” की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य मॉडल गांव विकसित करना था। हालांकि 6 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना असफल साबित हुई है। दरअसल सांसदों द्वारा चुनी गई ग्राम पंचायतों में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं। सेंट्रल परफॉर्मेंस ऑडिट ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस योजना की समीक्षा करने की अपील की है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कॉमन रिव्यू मिशन 2019 के तहत ग्रामीण योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद ऑडिट टीम ने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर सांसद आदर्श ग्राम में हुए विकास कार्यों का जायजा लिया। जांच में पता चला है कि इन सांसद आदर्श ग्राम पंचायत में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं। सांसदों ने इस योजना के लिए अपनी सांसद निधि से ज्यादा रकम नहीं दी। कुछ जगहों पर सांसदों ने काम कराया है लेकिन वह भी इस योजना को प्रभावी बनाने में नाकाम रहा है।

सांसद आदर्श ग्राम योजना अक्टूबर 2014 को लॉन्च की गई थी। इस योजना के तहत सांसदों को एक गांव गोद लेने को कहा गया था। हालांकि इसके लिए सरकार ने बजट का आवंटन नहीं किया था। योजना में सांसदों को ही अपनी सांसद निधि से गोद ली गई ग्राम पंचायत में विकास कार्य कराने थे। इस योजना का उद्देश्य था कि हर सांसद द्वारा मार्च 2019 तक तीन मॉडल गांव विकसित किए जाएं। जिन्हें 2024 तक बढ़ाकर पांच किया जाना था।

हालांकि साल दर साल सांसदों की इस योजना में रुचि कम हो गई और कुछ ही सांसदों ने गांवों को गोद लिया। जिन्होंने गोद भी लिया, उन्होंने गांव में एक दो विकास कार्य कराकर ध्यान नहीं दिया। इस योजना की असफलता का कारण एक गांव गोद लेने पर अन्य गांवों में जन प्रतिनिधि के खि’लाफ ना’राजगी ब’ढ़ने की आशंका थी। इसके साथ ही इस योजना में बजट का आवंटन नहीं किया जाना भी, इसके असफल होने का कारण बनी।