केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को आ’ड़े हाथों लिया है। मंत्रालय का कहना है कि गुजरात की दो नदियों- साबरमती और तापी में प्रदूषण रोकने के लिए जो परियोजनाएं शुरू की गई थीं, उनमें बेवजह देरी हो रही है। इस मामले में जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 4 अगस्त को रूपाणी को पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि 2014 में फंड्स जारी किए जाने के बावजूद जहां साबरमती नदी का प्रोजेक्ट अभी पूरा किया जाना बाकी है, वहीं तापी नदी पर तो केंद्र के फंड्स मिलने के 16 महीने बाद तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया है।
बता दें कि साबरमती और तापी नदी में प्रदूषण रोकने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार गंगा बेसिन से अलग पड़ने वाली नदियों में प्रदूषण की जांच के लिए फंड्स मुहैया करा रही है।
साबरमती नदी पर प्रदूषण खत्म करने का प्रोजेक्ट अभी दूसरे फेज में ही है। इसके लिए 2014 में ही 444 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इसी पर जोर देते हुए शेखावत ने चिट्ठी में कहा- “मेरे मंत्रालय को प्रोजेक्ट पूरा होने की तारीख को सितंबर 2018 से बढ़ाकर मार्च 2020 तक करना पड़ा और अब इसे मार्च 2021 तक बढ़ाया गया है। इस तरह की असामान्य देरी राज्य को ही प्रोजेक्ट के फायदों से वंचित कर रही है।”
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, तापी नदी के लिए केंद्र ने 971.25 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इनमें 13 करोड़ रुपए मार्च 2019 में ही रिलीज कर दिए गए थे। केंद्र और राज्य सरकार इस पूरे प्रोजेक्ट पर 60:40 के अनुपात में खर्च करने पर सहमति जता चुके हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत तापी नदी पर 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं, जिनकी क्षमता 25 करोड़ लीटर पानी को साफ करने की होगी।
बताया गया है कि पहली इंस्टालमेंट सूरत महानगरपालिका को दी जानी थी। हालांकि, शेखावत ने चिट्ठी में कहा है कि मुझे पता चला है कि राज्य सरकार ने नवंबर 2019 तक सूरत महानगरपालिका को सिर्फ 8 करोड़ रुपए ही ट्रांसफर किए, वह भी 8 महीनों की देरी के बाद। केंद्र की तरफ से भेजे गए फंड्स में 5 करोड़ रुपए अब भी राज्य सरकार की ओर से रिलीज किए जाने बाकी हैं। शेखावत ने आ’रोप लगाया कि दोनों प्रोजेक्ट्स में जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है।