मराठा आ’रक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रो’क, शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में अब नहीं चलेगा ये फार्मूला

शिक्षण संस्थानों में दाखिले और नौकरियों में मराठा आ’रक्ष’ण पर सुप्रीम कोर्ट ने रो’क लगा दी है। शीर्ष अदा’ल’त की बें’च ने कहा कि फिलहाल इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इस के’स पर बड़ी बेंच की ओर से फैसला लिया जाएगा, जिसका ग’ठन मुख्य न्यायाधीश की ओर से होगा। अदा’ल’त ने यह भी साफ किया है कि इस आदेश का असर पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल कोर्सेज के दाखिलों पर नहीं होगा, जो पहले ही हो चुके हैं।

मा’मले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एल.एन राव के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि इस फैसले से अब तक इस को’टे का लाभ ले चुके लोगों के स्टेटस पर कोई असर नहीं होगा। को’र्ट के इस आदेश से उन लोगों को राहत मिली है, जिन्हें बीते करीब दो सालों में अब तक इस को’टे का लाभ मिला था। को’र्ट के इस फैसले से मौजूदा शैक्षणिक सत्र में छात्रों को को’टे का फायदा नहीं मिल पाएगा।

बेंच ने कहा है कि फिलहाल इस पर रो’क लगाई जाती है और संवै’धा’निक बेंच की ओर से इसकी वै’धता पर फैसला लिया जाएगा। संवै’धा’निक बेंच का अर्थ 5 या फिर उससे ज्यादा जजों की बेंच से है। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे फैसला लेंगे।

 

महाराष्ट्र में 2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार के नेतृत्व में सामाजिक एवं शैक्षिणिक पि’छड़ा व’र्ग ऐक्ट को मंजूरी दी गई थी। इस का’नून के तहत मरा’ठा समु’दाय को पि’छड़े वर्ग में शामिल करते हुए ओबी’सी रिज’र्वेशन का फैसला लिया गया था।

हाई को’र्ट ने नहीं लगाई थी रो’क:

इससे पहले जून 2019 में बॉम्बे हाई को’र्ट ने का’नून की वैधता को बरकरा’र रखा था। हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा था कि नौकरियों में यह को’टा 12 पर्सेंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए इसकी लिमिट 13 पर्सेंट तय की जानी चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम को’र्ट में बॉम्बे उच्च न्या’यालय के आदेश को चु’नौ’ती देने वाली याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पि’छड़ा वर्ग (SEBC) अधिनियम, 2018, जो शिक्षा और नौकरियों में म’रा’ठा समु’दाय को 12% और 13% को’टा प्रदान करता है, इंदिरा साहनी माम’ले में निर्धारित सिद्धां’तों का उ’ल्लं’घन करता है जिसके अनु’सार सुप्रीम को’र्ट ने आर’क्ष’ण की सी’मा 50 फीसदी तय कर दी थी.