दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि हजारों की तादाद में वैज्ञानिक दिन-रात एक करके इस महामारी का तोड़ ढूंढने में लगे हुए हैं। ऐसे में मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि गिलोय साइंसेज की ‘एंटीवायरल दवा’ रेमेडिसविर से कोरोना वायरस संक्रमित बंदरों में फेफड़ों की बीमारी को रोका गया।
मानव परीक्षणों के दौरान Remdesivir कोरोना मरीजों में सुधार दिखाने वाली पहली दवा है। दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी को देखते हुए इसकी प्रगति को बारीकी से देखा जा रहा है। कोरोना ने अभी तक दुनिया में 7 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और 4,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
अध्ययन में, 12 मकाक बंदरों को नए कोरोनो वायरस से जानबूझकर संक्रमित किया गया था और उनमें से आधे का रेमेडिसविर स इलाज किया गया था। अध्ययन के अनुसार, जिन बंदरों को रेमेडिसविर दवा दी गई, उनमें श्वसन रोग के लक्षण नहीं दिखाए थे और फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचा था।
अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा बंदरों के परीक्षण का विवरण अप्रैल में जारी किया गया था, लेकिन उन निष्कर्षों की समीक्षा साथियों द्वारा नहीं की गई- जो एक शोध अध्ययन को मान्य करता है। अध्ययन के बाद सुझाव दिया गया कि रेमेडिसविर को कोरोना रोगियों में निमोनिया की प्रगति को रोकने के लिए जल्द से जल्द एक उपचार माना जाना चाहिए।
संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और दक्षिण कोरिया में गंभीर रूप से बीमार रोगियों में आपातकालीन उपयोग के लिए रेमेडिसविर को मंजूरी दे दी गई है। कुछ यूरोपीय राष्ट्र भी इसका उपयोग कर रहे हैं।
मनुष्यों में अभी इस दवा का परीक्षण जारी हैं और शुरुआती आंकड़ों से पता चला है कि दवा ने रोगियों को नए कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी से जल्दी ठीक होने में मदद की है।
साभार: न्यूज़ 24