कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब रिजर्व बैंक द्वारा आरटीआई में विलफुल डिफॉल्टर्स की जानकारी देने का मुद्दा उठाया तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 29 अप्रैल को उन्हें पी. चिदंबरम से ट्यूशन लेने की सलाह दे दी।
08 मई को राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता में कुछ सवाल उठाए, तो भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कटाक्ष किया कि अर्धशतक पूरा कर रहे युवा नेता को अब परिपक्व हो जाना चाहिए। वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि राहुल की मम्मी के पीएमओ और नरेंद्र मोदी के पीएमओ में जमीन-आसमान का फर्क है।
इतना ही नहीं मोदी सरकार-2 में जब राहुल गांधी संसद में भी खड़े होते हैं, तो सवाल के जवाब की बजाय सत्ता पक्ष उनके उपहास की कोशिशों में लग जाता है।
राहुल गांधी के पास कुछ नया नहीं होता- नलिन कोहली
भाजपा के प्रवक्ता नलिन कोहली का कहना है कि विपक्ष सवाल उठाए, सुझाव दे। उसका स्वागत है, लेकिन राहुल गांधी के पास कुछ नया नहीं होता। वह जो सवाल उठाते हैं, सरकार उस दिशा में काम कर रही होती है। शुक्रवार को राहुल गांधी के उठाए गए मुद्दे पर जवाब देने की बजाय नलिन कोहली ने कहा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी को तीन राज्यों में सरकार है। महाराष्ट्र में कांग्रेस सहयोगी है।
राहुल गांधी को चाहिए वह इस तरह से प्रश्न पूछने की बजाय पहले राज्य सरकारों से जानकारी लें। इसके बाद उन्हें ट्वीट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्हें चाहिए कि वह इन सरकारों को ही अपने सुझाव देकर कोई रचनात्मक मॉडल खड़ा करें।
राहुल गांधी विमर्श को गर्त में ले जाते हैंः राकेश सिन्हा
राहुल गांधी और उनकी पार्टी अधिनायकवादी है, उसमें मां, बेटा, पुत्री (वंशवाद) का ही राज है। लोकतंत्र है नहीं। वह (राहुल) भी उसी के अनुरुप व्यवहार करते हैं। राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा का कहना है कि पहले राहुल गांधी को पार्टी में लोकतंत्र बहाल करने पर काम करना चाहिए। भाजपा में ऐसा नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विकास की थीम लेकर चलते हैं। चाहे विपक्ष हो या राज्यों के मुख्यमंत्री, नौकरशाह, विदेशों में भारतीय मिशनों के अधिकारी, देश के कलाकार, खिलाड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 से लड़ने में सभी की राय, सलाह लेकर चर्चा करके महामारी का सामना कर रहे हैं।
राकेश सिन्हा कहते हैं कि एक तरफ देश कोविड-19 का सामना कर रहा है, दूसरी तरफ विपक्ष के नेता राहुल गांधी स्तरहीन सवाल कर रहे हैं। वह लगातार देश को उलझाने, परेशानी बढ़ाने में लगे हैं। इसलिए लोग (जनता) उनके विरुद्ध हो जाते हैं। राहुल को इससे हटकर अपनी पार्टी की सोशल ऑडिटिंग पर ध्यान देना चाहिए।
उनका पिछला रिकार्ड देख लीजिए। वह यूपीए सरकार के समय में कैबिनेट का नोट प्रेसवार्ता में फाड़ रहे थे। राहुल गांधी कोट के ऊपर जनेऊ पहन लेते हैं। वह देश के प्रधानमंत्री को डंडे से मारने की बात करते हैं (लेकिन राहुल के पूरे बयान का जिक्र करने पर राकेश सिन्हा चुप हो गए)।
कुल मिलाकर जो पार्टी हमारे सामने खड़ी है, उसमें लोकतंत्र नहीं है। राहुल गांधी को नाथूराम गोडसे के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता। न ही राहुल गांधी में सामाजिक, आर्थिक, रचनात्मक राष्ट्रवाद की दृष्टि दिखाई देती है। वह देश में विमर्श को भी गर्त में ले जा रहे हैं।
सरकार पैकेज दे चुकी है, सब तो हो रहा है, देखें राहुल-अग्रवाल
भाजपा के प्रवक्ता, आर्थिक मामलों के जानकार गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि राहुल गांधी के सकारात्मक सुझाव का स्वागत है। उन्हें देखना चाहिए, वह जो कह रहे हैं, उससे आगे जाकर सरकार काम कर रही है। 1.76 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया जा चुका है।
लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनफिट ट्रांसफर हो रहा है, उज्ज्वला योजना का सिलेंडर दिया जा रहा है। रहा सवाल रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी का तो उन्होंने कोई सुझाव नहीं दिया। राहुल गांधी कोविड-19 की टेस्टिंग का मुद्दा उठा रहे हैं, सरकार टेस्ट कर तो रही है।
उन्हें सोचना चाहिए कि कांग्रेस की सरकारों ने 60 साल में क्या किया? एमएसएमई को जो मिलना चाहिए, सरकार उस पर भी विचार कर रही है।
आखिर क्या कहा है राहुल गांधी ने, जो मचा है हंगामा
राहुल गांधी ने कोविड-19 संक्रमण को लेकर व्यापक जांच किए जाने की बात की, सरकार को सुझाव दिया है
गरीब, मजदूरों को जांच, सुरक्षा मानकों के बाद सुरक्षित उन्हें उनके घर पहुंचाने, मनरेगा के तहत रोजगार देने, सब्सिडी के लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसा डालने का सुझाव दिया है
बेराजगारी की भीषण स्थिति से बचने, आर्थिक रफ्तार को मजबूती देने के लिए एमएसएमई को राहत पैकेज देने का सुझाव दिया है, इसके लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी के सुझाव को इसमें शामिल किया है।
राज्यों को आर्थिक सहायता देने, जीएसटी का बकाया देने, उनके सुझावों को गंभीरता से लेने, पीएमओ से ही सबकुछ तय करने की बजाय राज्यों, जिलाधिकारियों की भागेदारी तय करने का सुझाव दिया है।
आजादी की लड़ाई, महात्मा गांधी को नीचा दिखाया तो राहुल क्या चीज- बीके हरिप्रसाद
कांग्रेस पार्टी के पूर्व महासचिव बीके हरिप्रसाद का कहना है कि राहुल की छवि को खराब करने के लिए भाजपा और आरएसएस ने करोड़ों रुपया खर्च किया है। वह राहुल गांधी के भविष्य का नेता बन जाने से डरते हैं। हरिप्रसाद का कहना है कि यह भाजपा और आरएसएस का चरित्र है।
इन लोगों ने देश की आजादी की लड़ाई को नीचा दिखाने की कोशिश की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नीचा दिखाने की कोशिश की, तो राहुल क्या चीज हैं? पार्टी की महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव कहती हैं कि राहुल गांधी से भाजपा और उसके नेता घबराते हैं।
सुष्मिता का कहना है कि राहुल गांधी ज्वलंत मुद्दे उठाते हैं। विपक्ष का यह काम है। विपक्ष के नेता जब सवाल उठाते हैं, सरकार को सुझाव देते हैं तो इस पर सत्ता पक्ष जवाब देने की बजाय ध्यान भटकाने में लग जाता है।
कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व महासचिव का कहना है कि राहुल गांधी ने गरीब, मजदूर से जुड़ा मुद्दा उठाया है। उन्होंने एमएसएमई को राहत पैकेज देने, कोविड-19 को लेकर लोगों में जरूरत से ज्यादा बैठे डर को निकालने, राज्यों की केंद्र की तरफ से आर्थिक मदद करने की ही तो बात की है।
राहुल गांधी केन्द्र सरकार को राज्यों को जीएसटी का बकाया देने की बात कर रहे हैं, वह राज्यों को अपने क्षेत्रों में रेड जोन, आरेंज जोन, ग्रीन जोन तय करने का अधिकार देने की बात कर रहे हैं। यह केंद्र सरकार को आगे आकर बताना चाहिए कि वह कौन सी गलत बात कर रहे हैं?
राहुल गांधी का इसमें कौन सा सुझाव अप्रासंगिक है? वरिष्ठ नेता का कहना है कि भाजपा एक प्रोपैगैंडा आधारित पार्टी है। उसके नेता इसी के अुनरुप केंद्र की असफलता पर पर्दा डालने में लगे हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी का मकसद कोविड-19 की महामारी के समय में राजनीति करने के बजाय केंद्र सरकार को रचनात्मक सहयोग और सुझाव देना है।
कांग्रेस पार्टी वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को भी केंद्रीय मंत्री द्वारा राहुल गांधी को ट्यूशन लेने की सलाह देना हास्यास्पद लगती है। वह कहते हैं कि इस तरह की सलाह देना एक केंद्रीय मंत्री का काम नहीं है।
राहुल गांधी ने बताया है कि आरएसएस और भाजपा दोनों ऐसा उनके राजनीति में आने के बाद से लगातार इस तरह कोशिश करके उन्हें नासमझ पप्पू साबित करने में लगे हैं। इसके लिए विज्ञापन में भी काफी पैसा खर्च किया गया है।