बड़ी ख़बर: राफेल डील पर फ्रेंच वेबसाइट ने आज किया चौ’काने वाला खु’लासा, कांग्रेस फिर हुई हम’लावर

फ्रांस की समाचार वेबसाइट मीडिया पार्ट के खु’लासे के बाद एक फिर राफेल वि’वाद का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. कांग्रेस ने इस खु’लासे पर मोदी सरकार पर एक बार फिर हम’ला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस सौदे सच्चाई सामने आ गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते थे कि यह डील सरकार से सरकार के बीच है तो फिर इसमें बिचौ’लिया कहां से आ गया. इसके साथ ही सुरजेवाला ने कहा कि सरकार CAG, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, संसद बीजेपी कोई भी नहीं बताता राफ़ेल जहाज़ की क़ीमत क्या है ?

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”60 हजार करोड़ रुपए के राफेल से जुड़े रक्षा सौदे से जुड़े मा’मले में सच्चाई सामने आ गई है. ये हम नहीं फ्रांस की एक एजेंसी ने खुलासा किया है. कमीशनखोरी और बिचौ’लिए की एक गाथा आपके सामने है. 60 हजार करोड़ रुपए के राफे’ल खरीदने की घोषणा की गई ना कोई टें’डर ना कोई सूचना जैसे केले और सेब खरीदते हैं वैसे बात की गई.”

सुरजेवाला ने कहा, ”इसको ‘Gift to Clients’ की सं’ज्ञा दे दी. अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे तो ‘Gift to Client’ क्यों कहा ? इसलिए क्योंकि ये छि’पे हुए ट्रांजेक्शन का हिस्सा था. जिस कंपनी को ये पैसे दिए गए वो मॉडल बनाती हीं नहीं है. कल जो खु’लासा सामने आया है उसमे फ्रांस की एजेंसी ने जब ऑडिट किया तो उसमे पाया राफेल में 1.1 मिलियन यूरो एक बि’चलियो को दिए. फ्रांस की भ्र’ष्टाचार निरो’धक कंपनी ने खु’लासा किया.”

सुरजेवाला ने कहा, ”डील के लिए बिचौ’लिए तो 1.1 मिलियन यूरो दिए गए. क्या बिचौलियों को दिए जाने वाले कमीशन की कानू’न में इजाजत है. क्या पूरे डील पर सवाल ख’ड़ा नहीं हो गया है? क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए और क्या अब प्रधानमंत्री इसका जवाब देंगे?”

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री तो कहते थे ये सरकार से सरकार की डील थी तो फिर बिचौ’लिये कहां से आए. 2012 में पूरी टें’डर प्रक्रिया के साथ हम यहीं जहाज़ तकनीक ट्रांसफर के साथ इससे काफी कम दाम में खरीद रहे थे. मगर प्रधानमंत्री ने तो ये टेंडर ही र’द्द कर दी थी. क्या इस पूरे मा’मले की जांच नहीं होनी चाहिए?”

फ्रांस की वेबसाइट का दा’वा- राफेल सौदे में हुआ भ्र’ष्टाचार

फ्रांस की समाचार वेबसाइट मीडिया पार्ट ने राफेल पेपर्स नाम से आर्टि’कल प्रकाशित किए हैं. इस रिपोर्ट में दा’वा किया गया है कि सौदे में भ्र’ष्टाचार हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक राफेल ल’ड़ाकू विमान डील में ग’ड़बड़ी का सबसे पहले पता फ्रांस की भ्र’ष्टाचार नि’रोधक एजेंसी AFA को 2016 में हुए इस सौदे पर दस्तखत के बाद लगा. AFA को ज्ञात हुआ कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन ने एक बि’चौलिए को 10 लाख यूरो देने पर रजामं’दी जताई थी. यह ह’थियार दला’ल इस समय एक अन्य ह’थियार सौदे में ग’ड़बड़ी के लिए आरो’पी है. हालांकि AFA ने इस मा’मले को प्रोसि’क्यूटर के ह’वाले नहीं किया.

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2018 में फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन एजेंसी PNF को राफ़े’ल सौदे में ग’ड़बड़ी के लिए अलर्ट मिला. साथ ही लगभग उसी समय फ्रेंच कानू’न के म्युताबिक दासौ एविएशन के ऑडिट का भी समय हुआ. कंपनी के 2017 के खातों की जाँच का दौरान ‘क्लाइंट को गिफ्ट’ के नाम पर हुए 508925 यूरो के खर्च का पता लगा. यह समान मद में अन्य मा’मलों में दर्ज खर्च राशि के मु’काबले कहीं अधिक था.