देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उन पर आई विपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार बताए कि अभी तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा है कि अभी तक के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इस स्थिति से उबारने के लिए प्रभावकारी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
पढ़िए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह ने दो पेज के अपने ऑर्डर में कहा है कि लगातार मीडिया और न्यूजपेपर की रिपोर्ट उन्होंने देखी है और रिपोर्ट बताती है कि प्रवासी मजदूरों की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, ये मजदूर लंबी दूरियां पैदल तय कर रहे हैं तो कोई साइकिल से ये दूरी तय कर रहा है।
SC ने कहा कि लोग जहां फंसे हैं वहां के प्रशासन और रास्ते में प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें खाना और पानी नहीं मिल रहा है। देश में अभी लॉकडाउन की स्थिति है। समाज के इस वर्ग को इस परेशानी की घड़ी में सहायता की जरूरत है। इन्हें सरकार से अभी मदद की जरूरत है। खासकर भारत सरकार और राज्य सरकार इसको लेकर कदम उठाए।
प्रवासी मजदूरों के लिए कठिन दौर: SC
अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और उन्हें मदद की दरकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें तमाम लेटर और प्रतिवेदन दिए गए और प्रवासी मजदूरों की समस्या के बारे में अवगत कराया गया है। प्रवासी मजदूरों की समस्या अभी भी बरकरार है।
बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य के बॉर्डर, सड़क, रेलवे स्टेशन और हाइवे पर फंसे हुए हैं। वैसे तो राज्य और केंद्र की सरकार ने कई कदम उठाए हैं लेकिन अब भी ये तमाम प्रयास अपर्याप्त हैं और इसमें कमियां हैं। हम इस मामले में एकमत हैं कि प्रवासी मजदूरों के लिए प्रभावकारी व ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि उन्हें मुसीबत से छुटकारा मिले।
केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम भारत सरकार और देश के तमाम राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हैं। अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी तब तक केंद्र सरकार इस मामले में उठाए गए कदम के बारे में अवगत कराएं साथ ही सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में मौजूद रहें।
पहले भी उठा है मुद्दा
गौरतलब है कि पलायन के दौरान प्रवासी मजदूरों की हादसे में मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि प्रवासी मजदूरों की आवाजाही की निगरानी करना अदालत के लिए असंभव सा है। लोग सड़कों पर चल रहे हैं तो उन्हें कैसे रोका जा सकता है। देश में प्रवासी मजदूरों के मामले में सरकार को ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।