मुसलमानों ने अपने जकात के पैसों से गरीबों को पहुँचाया घर, मैं भी दूंगा अब ज़कात: प्रशांत कनौजिया

कोरोना वायरस के खात्मे को रमजान के महीने में मुसलमान इबादत में जुटे। इबादत के साथ मुसलमान जकात, फितरा देकर गरीबों की मदद भी कर रहे हैं। यह वक्त ऐसा नहीं है कि हम खुशी का इजहार करें, बल्कि रब की बारगाह में कोरोना महामारी से निजात की दुआ करें।

जामा मस्जिद के सदर मो. इरशाद ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी ने पूरी दुनिया को मुसीबत में डाल रखा है। रमजान का महीना इबादत और गुनाहों से तौबा करने के साथ रब के नजदीक होने का होता है।

इस संकट के वक्त में मुसलमान ईद की खरीदारी के पैसे को गरीबों को खाना खिलाने में लगाएं। जकात, फितरा के पैसा भी जरूरतमंदों की मदद में खर्च करें। मदीना मस्जिद के सदर परवेज आलम ने कहा है कि रमजान के इस मुकद्दस माह में तमाम मस्जिदों में नमाज बंद है।

न तरावीह हो रही हैं और न एतकाफ। मक्का में भी तवाफ बंद है। उमरा जाना भी बंद हो गया है। रमजान का महीना इबादत और गरीबों की मदद करने का है। ऐसे में मुसलमान ईद की खरीदारी न करके गरीबों की मदद करें।

लॉकडाउन में ऐसे लोगों की मदद करें, जिनके घर में चूल्हा नहीं जला है। ईद की खुशी मनाने का वक्त नहीं है। गरीबों की मदद ही ईद की खुशी जैसी होगी। ईद सादगी से मनाएं और सोशल डिस्टेंस का पालन करें।

मुसलमान अपनी कमाई का 2.5 % जकात देते हैं । ये सभी मुसलमानों पर फर्ज है । हर मुसलमान अपनी कमाई से जकात निकाल कर खुश होता है ।

इसी बात को देखे हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत कनोजिया ने ट्वीट किया है, उन्होंने लिखा है कि बहुत सारी तस्वीरें और वीडियो देखने के बाद पता चलता है कि इस महामारी में मजदूरों को घर पहुंचने में और उनतक भोजन पहुंचने में जकात ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। वैसे ये मुसलमानों पर फ़र्ज़ है पर इसका पालन सबको करना चाहिए। अगली बार से मैं भी 2.5 % इनकम का चैरिटी करूंगा।

साभार: दी पंछी