प्रणब मुखर्जी को 1984 में मिला था दुनिया के सबसे अच्छे वित्त मंत्री का खिताब, किया था ये बड़ा काम

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। 84 वर्षीय मुखर्जी करीब 6 दशकों तक राजनीतिक जगत के एक अहम स्तंभ रहे थे। दशकों से कांग्रेस पार्टी के अहम चेहरे रहे प्रणब मुखर्जी उन नेताओं में गिने जाते थे, जिन्हें स्टेट्समैन कहा गया। देश के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के तौर पर भी काम किया था।

दिलचस्प तथ्य यह है कि वह दो बार वित्त मंत्री बने और पहले और दूसरे कार्यकाल के बीच 25 सालों का अंतराल था। आमतौर पर इतने लंबे समय में कई राजनेताओं का करियर ही स’माप्त हो जाता है, लेकिन वह इंदिरा गांधी की कैबिनेट में जनवरी 1982 से दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री रहे और उसके बाद फिर जनवरी 2009 से जून 2012 तक जिम्मेदारी संभाली।

आइए जानते हैं, वित्त मंत्री के तौर पर कैसे थे प्रणब मुखर्जी…

इंदिरा कैबिनेट में शामिल रहने के दौरान अपने पहले कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी ने टैक्स सुधारों को अमलीजामा पहनाया था। इसके लिए उन्हें यूरो मैगजीन ने 1984 में दुनिया का सबसे अच्छा फाइनेंस मिनिस्टर क’रार दिया था। उनके एक कदम की सबसे ज्यादा चर्चा’ की जाती है, वह था प्रवासी भारतीयों को निवेश करने पर इन्सेंटिव देना।

इससे भारत में निवेश में इजाफा हुआ। इसके बाद वह एक बार फिर से 2009 में मनमोहन काल में फाइनेंस मिनिस्टर बने थे। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था 8 फीसदी के करीब ग्रोथ हासिल कर रही थी।

वह देश के ऐसे पहले फाइनेंस मिनिस्टर थे, जिन्होंने उदारीकरण के पहले भी देश के खजाने को संभाला और फिर उसके करीब 18 साल बाद एक बार फिर से वित्त मंत्री बने थे। दशकों तक राजनीति करने वाले प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे थे।

अपने जीवन के आखिरी दौर में 2018 में वह आ’रए’सए’स के एक कार्यक्रम में शामिल होने नागपुर पहुंचे थे। इसे लेकर काफी च’र्चा हुई थी और कांग्रेस के भीत’र ही एक वर्ग ने उनकी आ’लोचना भी की थी। मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते साल ही 8 अगस्त को उन्हें भारत रत्न सम्मान प्रदान किया था।

1969 में पहुंचे थे संसद:

प्रणब मुखर्जी पहली बार 1969 में राज्यसभा पहुंचे थे, इसके बाद 1973 में केंद्रीय मंत्री का पद संभाला था। यही नहीं इंदिरा गांधी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। पहली बार 2004 में वह लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर संसद पहुंचे थे। नेताओं के बीच ‘दादा’ उपनाम से लोकप्रिय रहे प्रणब मुखर्जी वास्तव में राजनीति में दा’दा सरीखे ही थे। 1969 से अब तक वह अनवरत अपनी राजनीतिक यात्रा पर चल रहे थे।