प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेल हरएक से 50 रुपए अतिरिक्त शुल्क वसूल रही है। कर्नाटक की भाजपा सरकार ने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों से दोगुना किराया लेने का ऐलान किया है। उसके पीछे तर्क है कि जिन वाहन से ये लोग भेजे जाएंगे वे खाली लौटेंगे। इस ‘आर्थिक समझदारी’ की गुत्थी अभी सुलझ नहीं पाई थी कि पीएम केयर्स फंड की भी ‘पहेली’ उलझती दिख रही है।
पीएम केयर्स फंड में लोगों ने दिल खोलकर दान दिया है। कंपनियों ने भले ही अपने कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया हो, लेकिन पीएम केयर्स फंड में उन्होंने दान देने में कोताही नहीं बरती। आलोचकों का कहना है कि यह (PM CARES Fund) अपारदर्शी और पक्षपाती है।
पीएम केयर्स फंड में दिए दान को कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत गिना जा सकता है, जबकि मुख्यमंत्री फंड में समान रियायत नहीं मिलती है। आलोचकों का आ’रोप है कि इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ प्रधानमंत्री का महिमा मंडन करना है।
इस कोष का गठन को’विड-19 जैसी किसी भी तरह की महामारी के दौरान उत्पन्न आपात या संकट की स्थिति से निपटने और प्रभावितों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। जाहिर है ऐसे में इस फंड का इस्तेमाल लॉकडाउन में एक महीने तक बिना आजीविका के रहने वाले लाखों प्रवासियों को ‘संकट की स्थिति’ से निकालने में भी होना चाहिए।
हालांकि, अब तक किसी ने भी यह जानकारी नहीं दी है कि पीएम केयर्स फंड से प्रवासियों पर कितना पैसा खर्च किया गया है या इस कोष से उनका किराया क्यों नहीं लिया जा रहा है। ‘द टेलिग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएमओ को भी यह नहीं मालूम है कि पीएम केयर्स फंड में अब तक कितनी धनराशि इकट्ठा हुई है। अथवा इस फंड से किसी को कोई फंड आवंटित किया गया है या नहीं। ‘द टेलिग्राफ’ के मुताबिक, इस संबंध में पूछने पर पीएमओ से जुड़े एक अधिकारी ने फोन पर जवाब दिया, ‘कोई जानकारी नहीं।’
यही नहीं, पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर भी इस बात की कोई जानकारी है कि कितना पैसा इकट्ठा किया गया है या पैसे का कहां इस्तेमाल किया गया है। प्रधानमंत्री इस पीएम केयर्स फंड के पदेन अध्यक्ष हैं। वहीं, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं। बता दें कि कई कॉरपोरेट समूहों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वे पीएम केयर्स फंड में करोड़ों रुपए दान दे रहे हैं।
पीएम केयर्स फंड को लेकर सोशल मीडिया भी लोग सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के मीम और कार्टून पोस्ट कर प्रवासी मजदूरों से अतिरिक्त वसूली का विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड के गठन की घोषणा की थी।
एक अनुमान के मुताबिक, उनकी घोषणा के एक सप्ताह के भीतर ही 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लोग इसमें दान कर चुके थे। यह 2014-15 से 2018-19 के बीच प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में प्राप्त 2,119 करोड़ रुपये के कुल दान से तीन गुना ज्यादा है। उस अवधि के दौरान पीएमएनआरएफ से 1,594.87 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
पीएमएनआरएफ का इस्तेमाल बाढ़, चक्रवात, भूकंप, बड़ी दु’र्घटनाओं और दं’गों के शिका’र जैसी प्रा’कृतिक आ’पदाओं में मा’रे गए लोगों के परिजनों को तत्काल राहत देने के लिए किया जाता है। पीएमएनआरएफ की स्थापना 1948 में हुई थी। इसका कुल समग्र कोष 3,800 करोड़ रुपये है।