पालघर में दो साधुओं की लिं’चिंग का मा’मले में सीबीआई जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. साधुओं के रिश्तेदारों और जूना अखाड़ा के साधुओं ने सुप्रीम कोर्ट में मा’मले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि उन्हें ‘महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है क्योंकि इस मा’मले में श’क की सुई पुलिस पर ही है. ऐसे में पुलिस से सही तरीके से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है इसलिए जांच सीबीआई से कराई जाए.’
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, DGP, सीबीआई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इससे पहले एक मई को महाराष्ट्र के पालघर लिंचिं’ग मा’मले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहा’ल जांच पर रो’क लगाने से इनकार कर दिया है.
बता दें कि एक याचिका में मा’मले की जांच सीबीआई से और दूसरी में NIA से कराने की मांग की गई है. NIA से जांच कराने की एक दूसरी याचिका पर भी नोटिस दिया है. जुलाई के दूसरे हफ्ते में इन याचिकाओं पर सुनवाई होगी. महाराष्ट्र सरकार ने याचिका का विरो’ध करते हुए कहा कि ऐसी ही याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित है.
याचिका में क्या कहा गया है?
जूना अखाड़ा के साधुओं की ओर से याचिका में कहा गया है कि ‘गवाह आ’त्मह’त्या कर रहे हैं. हमारे पास यह मानने के कारण हैं कि जांच एजेंसी अपना काम नहीं कर रही है.’ याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उन्हें अंदेशा है कि सबूतों के साथ छे’ड़छा’ड़ हो सकती है. उन्हें इस बात की है कि सबूत गायब हो जाएंगे.
इस संबंध में दायर याचिका में पालघर मा’मले में पुलिस की भूमिका पर सवा’ल उठाते हुए जांच राज्य CID से वापस लेने की मांग की गई थी. पालघर लिंचिंग पर दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि यह घ’टना लॉकडाउन नियमों का उल्लं’घन है. सवाल यह है कि पुलिस ने इतनी भी’ड़ को कैसे इकट्ठा होने दिया?