मोदी को नेपा’ल पीएम की दो टु’क -लिपु’लेख की जमीन हमारी, इसे भारत ………..

लिपुलेख सीमा विवाद मामले में भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ दिनों से त’ल्खी ते’ज है। हालांकि दोनों देशों ने आपसी बातचीत से इस तनाव को ख’त्म करने का निर्णय लिया है। इस बीच बुधवार को नेपा’ल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक बयान में कहा कि ‘लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी विवा’दित भूमि है, जिसका पूरा भूगोल ही भार’त के कब्जे में है। काला’पानी में भारतीय सेना रख कर वहां से लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर भारत ने क’ब्जा कर लिया है।’

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने कहा, सेना रख कर हम’से हमारी जमी’न छीनी गई है। जब तक वहां भारतीय सेना की मौजूदगी नहीं थी, तब तक वह जमीन हमारे पास ही थी। सेना रखने के कारण हम उधर नहीं जा सकते हैं। एक प्रकार से कहा जाए तो यह क’ब्जा है। इस कारण हम बार-बार अपने मित्र’राष्ट्र भारत से कह रहे हैं कि वह जमीन हमा’री है। हमें हमारी जमीन वापस चाहिए। प्रमाण के आधार पर, ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर हमारी जमीन वापस करनी होगी।

ओली ने कहा, हम कूटनीतिक संवाद के जरिए इसका समाधान चाहते हैं और समा’धान तब होगा जब हमें हमारी जमीन वापस मिलेगी। यही सत्य है और इसकी ही जीत होगी। हमें विश्वास है कि हम अपनी जमीन को वापस लेकर रहेंगे। एक ओर सेना रख कर हमारी जमीन पर क’ब्जा किया गया और ऊपर से फ’र्जी सीमा रेखा बनाई गई। एक नकली का’ली नदी बनाई गई, एक फ’र्जी काली मंदिर बनाकर, एक ति’मुंहा नदी दिखा कर इलाके पर कब्जा किया गया और हमारे नक्शे से इस क्षेत्र को बाहर कर दिया गया।

नेपाली प्रधानमंत्री ने यूपी के मुख्यमंत्री के बयान पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, उत्तरप्रदेश के मु’ख्यमंत्री ने नेपा’ल को लेकर कुछ कहा है। उन्होंने अगर ऐसी बातें कही हैं तो यह जायज नहीं है। अगर उन्होंने नेपाल को धम’की दी है तो वह भी उचित नहीं है। वे केंद्रीय सरकार की निर्णायक भूमिका में नहीं हैं। एक प्रदेश के मु’ख्यमंत्री हैं। मु’ख्यमंत्री के हिसाब से भी उनको ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी। उन्होंने ने’पाल के बारे में जो भी बातें की हैं, वह दुखद और निं’दनीय है।

ओली ने कहा। उनके (सीएम यो’गी) इस बयान को नेपा’ल के अ’पमा’न के रूप में लेते हैं और नेपा’ल किसी की ध’मकी से डर’ने वाला नहीं है। यह बात मैं योगी जी को स्मरण कराना चाहता हूं। गौरतलब है कि मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आई थी जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ने’पाल की सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि उसे राजनीतिक सीमाएं तय करने से पहले उसके होने वाले प्र’भावों को ध्या’न में रखना चाहिए।