NDTV पर बोले जावेद अख्तर- ता’लिबान बर्बर है, RSS,VHP एंव बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी…

मशहूर कवि और गीतकार जावेद अख्‍तर (Javed Akhtar)ने ता’लिबान  को बर्ब’र बताते हुए उसकी हरकतों की ज’मकर आलोचना की है. शुक्रवार को NDTV से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि ता’लिबानी बर्ब’र है और उनकी करतूतें निं’दनीय हैं.

इसके साथ ही वे यह जोड़ना नहीं भूले कि जो आरएसएस (RSS), विश्‍व हिं’दू परिषद (VHP)और बजरंग दल (Bajrang Dal) का समर्थन करने वाले भी ऐसे ही हैं.

राज्‍यसभा सांसद रह चुके जावेद साहब ने कहा कि देश में मु’स्लिमों का एक छोटा सा हिस्‍सा ही ता’लिबान का समर्थन कर रहा है. उन्‍होंने कहा कि दक्षिणपंथियों की विचारधारा दमनकारी है.

एनडीटीवी के साथ चर्चा में खुलकर अपने विचार रखते हुए जावेद अख्‍तर ने कहा कि ता’लिबान और ‘ता’लिबान की तरह बनने की चाहत रखने वालों’ के बीच अजीबोगरीब समानता है.  दिलचस्‍प बात यह है कि दक्षिणपंथी इसका इस्‍तेमाल खुद को प्रमोट करने के लिए इस उद्देश्‍य से करते हैं क‍ि उसी तरह बन सके, जिसका वे विरो’ध कर रहे हैं.  देश के मु’स्लिमों की ओर से ता’लिबान का समर्थन किए जाने संबंधी सवाल कर उन्‍होंने कहा, ‘मुझे उनका बयान शब्‍दश: याद नहीं है लेकिन कुछ मिलाकर उनकी भावना यह थी कि वे अफगानिस्‍तान में ता’लिबान का स्‍वागत करते हैं.

मैं कहना चाहूंगा कि यह हमारे देश की मु’स्लिम आबादी को छोटा सा हिस्‍सा हैं. ‘ उन्‍होंने कहा, ‘जिन मु’स्लिमों से मैंने बात की, उनसे से अधिकतर है’रान थे कि कुछ लोगों ने ऐसे बयान दिए. भारत में युवा मु’सलमान अच्‍छा रो’जगार, अच्‍छी शिक्षा और अपने बच्‍चों के लिए अच्‍छा स्‍कूल चाहते हैं. लेकिन दूसरी तरह कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस तरह की संकीर्ण सोच में विश्‍वास रखते हैं- जहां महिला और पुरुषों से अलग-अलग व्‍यवहार होता है और पीछे की ओर ले जानी वाली सोच (regressive thinking)रखी जाती है.. ‘

जावेद ने कहा, ‘जैसा कि मैंने कहा कि ये लोग थो’ड़े से हैं, ऐसे में वे जो कहते हैं, कहने दीजिए ये इसमें सफल नहीं होने वाले. ‘अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्‍होंने कहा कि दुनियाभर में  दक्षिणपंथी भी यही चाहते हैं. जैसे ता’लिबान, इस्‍’लामिक रा’ष्‍ट्र चाहता है, वहीं ऐसे भी हैं जो हिं’दू राष्‍ट्र चाहते हैं.

यह लोग एक जैसे माइंडसेट के हैं फिर चाहे वे मु’स्लिम हों, ईसाई, यहूदी या फिर हिं’दू. उन्‍होंने कहा, बेशक ता’लिबानी बर्ब’र हैं लेकिन जो RSS, VHP and Bajrang Dal को सपोर्ट कर रहे, वे भी ऐसे ही है. यह देश मूलत: सेक्‍युलर देश है, यहां की ज्‍यादातर आबादी सेक्‍युलर है, ऐसे में  ता’लिबान का विचार किसी भी भारतीय को आकर्षित नहीं कर सकता.

इस देश के ज्‍यादातर लोग सभ्‍य और सहनशील हैं, इसका सम्‍मान किया जाना चाहिए. भारत कभी ता’लिबानी देश नहीं बन सकता. अफगानिस्‍तान में ता’लिबानियों ने जिस तरह से कुछ सप्‍ताहों में सब चीजों पर नियंत्रण कर लिया, वह सब कुछ स्‍टेज्‍ड ( मंचित) लगता है. जब वहां अच्‍छी खासी सेना थी, फिर किस तरह कार और ट्रकों पर सवार लोगों ने आसानी से शहरों पर क’ब्‍जा कर दिया.  निश्‍चित रूप से यह अमेरिका, उसकीकठपुतली सरकार और ता’लिबान की मिलीभगत होगी.