महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट का समापन अब लगभग तय है। सोमवार को ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानपरिषद की सदस्यता की उम्मीदवारी के लिए नामांकन कर दिया। इसके बाद उनका निर्विरोध एमएलसी निर्वाचित होना तय है।
कांग्रेस के एक प्रत्याशी का नाम वापस लेने के बाद एमएलसी के लिए नामांकन करने वाले ठाकरे समेत सभी 9 प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने जाने की संभावना है।
नए समीकरण के हिसाब से राज्य में विधान परिषद की नौ सीट के लिए बीजेपी ने चार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं जबकि शिवसेना और एनसीपी के दो-दो और कांग्रेस का एक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस समिति ने अपने दो उम्मीदवारों में से एक राज किशोर मोदी को राज्य विधान परिषद के चुनाव में नहीं उतारने का फैसला किया है। ऐसे में अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे निर्विरोध विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनने वाले हैं।
पहले तो उद्धव के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने पर खतरा इसीलिए हो गया था क्योंकि विधान परिषद के चुनाव लॉकडाउन की वजह से होंगे या नहीं इस पर कोई पक्की जानकारी नहीं थी. दूसरी तरफ नामांकित सीट से उद्धव को विधायक बनाने पर गवर्नर फैसला नहीं ले रहे थे.
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी से गुहार और गवर्नर की सिफारिश के बाद चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की खाली पड़ी 9 विधान परिषद की सीटों के लिए चुनाव करवाने का फैसला किया, जो 21 मई को चुनाव होना है.
विधान परिषद की जिन 9 सीटों के लिए चुनाव होना है, उनके लिए मतदान विधानसभा के सदस्य करते हैं. ऐसे में विधानसभा की मौजूदा संख्या के हिसाब से बीजेपी के खाते में चार और कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के खाते में 5 सीटें जा सकती हैं.
कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना तीनों पार्टियां अपने दो-दो उम्मीदवार खड़े करने का मन बना चुकी थीं. मगर ऐसे में मतदान जरूरी हो जाता है और क्रॉस वोटिंग में उद्धव के हारने का खतरा था.
जिसके बाद उद्धव की गुहार पर कांग्रेस ने अपना एक उम्मीदवार वापस ले लिया और उद्धव की राह आसान हो गई.