कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर मनरेगा को लेकर तीखा हम’ला बोला है। सोनिया ने कहा कि यूपीए सरकार की प्रमुख योजना मनरेगा से लॉकडाउन के दौरान गरीबों का बहुत भला हुआ है। जबकि भाजपा सालों तक इसका मजाक उड़ाती रही है।
एक अखबार में लिखे लेख में सोनिया ने कहा कि वह सरकार से कहना चाहती हैं कि यह राष्ट्रीय संक’ट का समय है, राजनीति करने का नहीं। मनरेगा कांग्रेस बनाम भाजपा का मसला नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के पास मनरेगा के रूप में एक ताकतवर प्रणाली है, कृपया जरूरत की घड़ी में देश के लोगों की मदद के लिए इसका इस्तेमाल करें। 2005 की मनरेगा योजना विवेकपूर्ण व्यवस्थागत परिवर्तन का एक चमकदार उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने इन सालों में अपनी अहमियत साबित कर दी है। यहां तक कि पिछले छह सालों में एक विरोधी सरकार में भी इसकी अहमियत बनी रही।
सोनिया गांधी ने कहा कि मौजूदा सरकार इस योजना को बद’नाम करती रही, इसे नजरअंदाज करती रही, लेकिन अनिच्छा से ही सही उसने इस पर भरोसा किया। सोनिया ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मनरेगा संसद की तरफ से पारित कानून के तहत लागू हुआ है। मनरेगा योजना सिविल सोसायटी के जरिए सालों के संघर्ष का नतीजा है। सोनिया ने आगे कहा, “यह हमारे घोषणापत्र में 2004 में शामिल हुआ था। मनरेगा को कांग्रेस बनाम भाजपा न बनाए मोदी सरकार।”
क्या करे सरकार?
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह संकट की इस घड़ी में सीधे लोगों के हाथ में पैसे डाले, उनके सभी बकायों का भुगतान करे और उन्हें बेरोज़गारी भत्ता दे। इसके साथ ही सरकार को चाहिए कि वह भुगतान के तरीके को सरल बनाए और जिसे जिस तरह से सुविधा हो, मज़दूरी दे।
सोनिया गाँधी ने यह कह कर सरकार की आलोचना की कि सरकार ने अभी भी मनरेगा के तहत न्यूनतम 200 दिन काम देने की माँग नहीं मानी है। इसके साथ ही मनरेगा में लगातार पैसे देते रहना चाहिए।
सोनिया गाँधी ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि यह संक’ट का समय है, इसे समय इस पर राजनीति न की जाए, इस कांग्रेस बनाम बीजेपी का मामला न बनाया जाए और इसे पूरी तरह लागू किया जाए क्योंकि अभी देश को इसकी ज़रूरत है।