टिकटोक का बायकॉट कर जिस मित्रों एप्प का देशभक्त कर रहे प्रचार वह एप्प निकली मेक इन पाकिस्तान

मित्रों ऐप, जो आजकल देशभक्तों के बीच चर्चा का विषय बना गया और उसे टिकटोक की जगह स्वदेशी बताकर प्रचार किया जा रहा है कि यह एक आईआईटी छात्र ने बनाया है असल में यह एप्लीकेशन उसने नहीं बनाई है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मित्रों ऐप का संपूर्ण स्रोत कोड, जिसमें सुविधाओं का पूरा सेट और उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस शामिल है, पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी, Qboxus से खरीदा गया था।

Qboxus के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी इरफ़ान शेख के अनुसार, उनकी कंपनी ने अपने ऐप के स्रोत कोड को $ 34 (~ 2,600 रुपये) में मित्रोन के प्रमोटर को बेच दिया।

News18 से बात करते हुए, शेख ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि हमारे ग्राहक हमारे कोड का उपयोग करें और अपने दम पर कुछ का निर्माण करें। लेकिन मित्रों के डेवलपर ने हमारे सटीक उत्पाद को ले लिया है, लोगो को बदल दिया है और इसे अपने स्टोर पर अपलोड कर दिया है।“

हालांकि, शेख ने पुष्टि की कि समस्या यह नहीं है। “डेवलपर ने जो किया है उससे कोई समस्या नहीं है। उन्होंने स्क्रिप्ट के लिए भुगतान किया और इसका इस्तेमाल किया, जो ठीक है। लेकिन, समस्या लोगों द्वारा इसे भारतीय-निर्मित ऐप के रूप में संदर्भित करने के साथ है, जो विशेष रूप से सच नहीं है क्योंकि उन्होंने कोई बदलाव नहीं किया है। ”

शेख ने आगे पुष्टि की कि उनकी कंपनी द्वारा मैट्रॉन को कोडकैनियन पर $ 34 में बेचा गया था, जो लगभग 2,600 रुपये है। डेटा होस्टिंग प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, शेख ने कहा कि जब Qboxus अपने सर्वर पर उपयोगकर्ता डेटा की मेजबानी करने का विकल्प देता है, तो मित्रों ने उसके लिए विकल्प नहीं चुना, और इसके बजाय अपने सर्वर पर अपने उपयोगकर्ता डेटा को होस्ट करने के लिए चुना है। हालाँकि, अब तक उपयोगकर्ता डेटा के मित्रों के उपचार पर कोई स्पष्टता नहीं है।

इसी बीच एक एप वायरल जिसका नाम मित्रों एप (Mitron App)। इस एप को स्वदेशी या मेड इन इंडिया के नाम पर खूब प्रसारित किया गया और देखते-देखते 50 लाख से भी अधिक लोगों ने इसे डाउनलोड कर लिया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस मित्रों एप को आप मेड इन इंडिया मानकर डाउनलोड कर रहे हैं, वह वास्तव में इंडिया का है ही नहीं।

पाकिस्तानी डेवलपर ने बनाया एप

न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक Mitron App एप को पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपर इरफान शेख से खरीदा गया है, जबकि दावा किया गया था कि इस एप को आईआईटी, रुड़की के एक छात्र शिवांक अग्रवाल ने तैयार किया है। आपको बता दें कि मित्रों एप का असली नाम TicTic एप है जिसे पाकिस्तान के इरफान शेख की कंपनी Qboxus ने तैयार किया था।

इरफान शेख ने इस एप के सोर्स कोड को 34 डॉलर्स यानी करीब 2,500 रुपये में किसी को बेच दिया। अब यहां समस्या को डेवलपर और पाकिस्तान से नहीं है, समस्या है प्राइवेसी और मेड इन इंडिया के नाम पर प्रचार करने की। सच तो यह है कि पाकिस्तानी टिकटिक एप में कोई बदलाव ही नहीं किया गया है। सिर्फ टिकटिक का नाम मित्रों रख दिया गया है।

यदि आप गूगल प्ले-स्टोर पर जाकर मित्रों एप की प्राइवेसी पॉलिसी पर क्लिक करें तो आपको shopkiller.in का लिंक मिलेगा लेकिन यह लिंक ब्लैंक है। इसका मतलब यह है कि मित्रों एप की कोई प्राइवेसी पॉलिसी ही नहीं है।

ऐसे में आपको नहीं पता कि मित्रों एप पर आपके द्वारा अपलोड किए गए वीडियोज का इस्तेमाल कहां और किस तरीके से होगा। इसके अलावा मित्रों एप को भारत में किसने खरीदा और किसने गूगल प्ले-स्टोर पर पब्लिश किया है, यह अभी भी एक राज ही है।