कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को मिला बड़ा झ’टका

मध्य प्रदेश के बाद जहां कांग्रेस गुजरात में अब विधायको को टू’टने की बचाने की कोशिश कर रही है वहीं साल 2017 में अब मणिपुर में कांग्रेस के 7 विधायक बीजेपी में शामिल होने के मा’मले में मणिपुर हाइकोर्ट ने उनके विधानसभा जाने पर रो’क  लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि जब तक विधानसभा अध्यक्ष के ट्रिब्युनल में उनके खि’लाफ मा’मला चल रहा है वे विधानसभा नहीं जा सकते हैं.

आपको बता दें कि इन सात विधायकों की मदद से बीजेपी ने मणिपुर में सरकार बना ली थी. इन विधायकों में ओनिम लोखोई सिंह, केबी सिंह, पीबी सिंह, संसाम बीरा सिंह, नग्मथंग हाओकिप, गिन्सुनाऊ और वाईएस सिंह शामिल हैं. कांग्रेस ने उस समय सुप्रीम कोर्ट तक में अपील की थी. क्योंकि इन विधायकों ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था और तकनीकी तौर पर कांग्रेस के ही एमएलए थे.

उनमें से एक विधायक श्याम कुमार को उनके पद से बेदखल कर दिया था और बाकी इन 7 विधायकों पर स्पीकर से कहा था कि इन पर फैसला करें. श्याम कुमार को स्पीकर ने उसी समय अयोग्य करा’र दे दिया था. लेकिन बाद में उन्हें मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त कर दिया गया.

उपचुनाव वाली ज्यादा तक सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं, जहां दलित मतदाता काफी अहम और निर्णायक माना जाता है. बसपा प्रमुख मायावती ने इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान करके पूर्व सीएम कमलनाथ की बेचैनी को बढ़ा दिया है तो कांग्रेस ने दलित वोट साधने के लिए बसपा में सेंधमारी शुरू कर दी है.

बसपा नेता प्रागी लाल जाटव सहित दो दर्जन से अधिक नेताओं ने मायावती का साथ छोड़कर रविवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है. जाटव पहले शिवपुरी के करेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर रहे थे. इसके अलावा डबरा नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष सत्य प्रकाशी बीएसपी कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में शामिल हो गईं.

ये दोनों नेता ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा का बड़ा चेहरा माने जाते थे. इससे पहले बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार, पूर्व विधायक सत्यप्रकाश और पूर्व सांसद देवराज सिंह पटेल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.

दरअसल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरो’ध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल 2018 को भारत बं’द किया था. भारत बंद के दौरान ग्वालियर-चंबल इलाके में हिं’सा भ’ड़क गई थी, जिसमें कई लोगों की जा’न चली गई थी और काफी लोगों पर एफआई’आर दर्ज हुई थी. उस समय मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी, जिससे दलित समुदाय काफी नारा’ज थी और चुनाव में उसका फायदा कांग्रेस को मिला था.