कोलकाता नगर निगम में प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को ही नियुक्त कर देने को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है।
उन्होंने राज्य सरकार से इस नियुक्ति की संवैधानिकता पर रिपोर्ट तलब की है। राज्यपाल ने आरोप लगाते हुए कहा है, “राज्य सरकार ने मेरे नाम से निर्देशिका तो जारी की है लेकिन मुझे इस बारे में कुछ बताया ही नहीं।”
राज्यपाल ने गुरुवार सुबह तीन ट्वीट कर ममता बनर्जी सरकार पर कानून का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, “मुख्य सचिव राजीव सिन्हा से इस मामले पर जवाब तलब किया है। छह मई को राज्य सरकार ने कोलकाता नगर निगम के बारे में जो नोटिफिकेशन जारी की, वह अभी तक राजभवन को नहीं भेजी गई है।
जबकि यह नोटिफिकेशन राज्यपाल के नाम से जारी किया गया है। सबसे पहले इस नोटिस को बिना देरी किए राजभवन को विचार के लिए भेजा जाना चाहिए था लेकिन मीडिया में प्रसारित कर दिया गया।
इसीलिए मुख्य सचिव को तलब किया गया है। इसके अलावा नगर निगम प्रशासन नियुक्त करने की पूरी प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। साथ ही उन लोगों के बारे में पूछा गया है जिन्होंने यह फैसला लिया है।”
अपने एक अन्य ट्वीट में राज्यपाल ने लिखा, “संविधान में प्रदत्त प्रावधानों की प्राथमिकता दी जानी चाहिए। किसी भी कीमत पर संविधान की अवहेलना ना हो। मेरे नाम से ऑर्डर जारी हुआ है और मुझे पता तक नहीं है। आखिर हम कहां जा रहे हैं? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना हो रही है। राज्य सरकार को लोगों के हित में कानून के अनुसार काम करने की जरूरत है।”
In the absence of response from Chief Secretary, have sought @MamataOfficial information as regards Kolkata Municipal Corporation order dated May 06,2020
Under Article 167 it is “duty” of Chief Minister to furnish information to Governor.
The order has huge ramifications.(2/2)
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 7, 2020
उल्लेखनीय है कि कोलकाता नगर निगम के बोर्ड की अवधि आज यानी सात मई को खत्म हो जाएगी। कल यानी शुक्रवार,आठ मई से निगम में प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को ही नियुक्त कर दिया गया है। जबकि नगर निगम के एमआईसी सदस्यों को ही बोर्ड के सदस्य के तौर पर भी मनोनीत कर दिया गया है। इससे विपक्ष हमलावर है।
नियमानुसार किसी भी निगम के बोर्ड की मियाद खत्म होने पर उसमें प्रशासक के तौर पर अधिकारियों की नियुक्ति होती है, ना कि जनप्रतिनिधि की। विपक्ष का कहना है कि किसी भी तरह से तृणमूल कांग्रेस सत्ता पर बने रहने के लिए ही अवैध तरीके से फिरहाद हकीम को प्रशासक नियुक्त किया है।
भाजपा ने कोर्ट जाने की भी चेतावनी दी है। अब राज्यपाल ने भी इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। साथ ही इसकी संवैधानिक पहलुओं पर भी रिपोर्ट तलब की है।