कोरो’ना वा’यरस संक’ट और लॉकडाउन के बीच शनिवार को पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी दिल्ली की सड़कों पर निकले और घर-गांव की ओर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों से मिले। दक्षिणी दिल्ली के आश्रम इलाके में सुखदेव विहार फ्लाइओवर के पास वह जब पहुंचे, तो उन्हों वहां कई मजदूर मिले। राहुल ने इस दौरान उनका हाल-चाल लिया और दिक्कतें सुनीं।
प्रवासी मजदूरों से राहुल की इसी मुलाकात पर कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से कहा गया- जनता का दर्द केवल वे ही समझ सकते हैं, जो उनकी चिंता करते हैं। आज राहुल गांधी प्रवासी मजदूरों से दिल्ली में मिले।
इसी बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राहुल ने जिन मजदूरों से भेंट की, उन्हें बाद में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि, फिलहाल इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। न ही दिल्ली पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया दी है।
वैसे, समाचार एजेंसी एएनआई ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि उन मजदूरों को पकड़े जाने की बात गलत है। वे अभी भी वहीं हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें वाहन मुहैया कराने की बात कही थीं, पर नियमों के मुताबिक उन्हें एक साथ नहीं जाने दिया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वे बड़े समूह में हैं।
हरियाणा से झांसी जा रहे मोनू नाम के मजदूर ने एएनआई से कहा, “राहुल गांधी फ्लाईओवर के पास जा रहे मजदूरों से मिले। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बाद में मजदूरों को गांव-घर ले जाने के लिए गाड़ी का बंदोबस्त भी किया।” वहीं, देवेंद्र नामक प्रवासी ने कहा- राहुल हमसे आधा घंटे पहले मिले थे। उन्होंने हमारे लिए गाड़ी बुक कराई और हमें उससे घर छुड़वाने के लिए कहा। उन्होंने हमें खाना, पानी और मास्क वगैरह भी दिलाया।
इससे पहले, दिन में राहुल ने मोदी सरकार से अपील की थी कि वह इस संकट में लोगों (खासकर मजदूरों) को कैश ट्रांसफर कराएं। दरअसल, हाल ही में केंद्र ने कोरोना और लॉकडाउन के बाद चरमराई देश की व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया, जिस पर पूर्व कांग्रेस चीफ ने केंद्र को पुनः विचार के लिए कहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन को समझदारी एवं सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है और बुजुर्गों एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा अर्थव्यवस्था में आने वाले ‘तूफान’ का मुकाबला करने की तैयारी रखनी चाहिए।
गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ जो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मैं निराश हूं। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है।’’