मजदूरों से किराया वसूलने को लेकर अब मायावती ने साधा सरकार पर निशाना

को’रोना वा’यरस को और फैलने से रोकने के लिए शुरू किए गए लॉकडाउन का असर देशभर में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग अपने घर से सैकड़ों-हजारों को किमी दूर फंस गए हैं. इनमें से बहुत से लोगों के पास न तो पैसे बचे हैं और न ही खाने-पीने का सामान. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अपने घर को लौटना चाह रहे हैं.

देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए रेलवे ने स्पेशल रेलगाड़ियां चलाई हैं. इन मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजा जा रहा है. इस तरह की पहली ट्रेन तेलंगाना से जारझंड के हटिया के बीच चलाई गई थी.

मजदूरों पर राजनीति

पहली ट्रेन चलने के बाद से ही 10 से अधिक ट्रेने महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, केरल और राजस्थान जैसे राज्यों से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए चलाई जा चुकी हैं.

इन ट्रेनों को चलाने को लेकर रेलवे ने एक दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसमें कहा गया था कि ये ट्रेनें केवल भेजने वाले और पाने वाले राज्य सरकारों के अनुरोध पर ही चलाई जाएंगी. रेलवे ने कहा कि राज्य मजदूरों से किराया वसूल कर रेलवे को देगा. रेलवे ने कहा था कि राज्य जितना पैसा देंगे, उतना ही टिकट छापा जाएगा.

वहीं यह भी खबर आई कि रेलवे मजदूरों के किराए के अलावा 50 रुपये अतिरिक्त वसूलेगा.

संकट में फंसे मजदूरों और किसी तरह भूखे प्यासे रहकर अपने घर लौट रहे मजदूरों से पैसे वसूलने को लेकर देश में बवाल हो गया था. इस पर जमकर राजनीति भी हुई. अब इस राजनीति में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती भी कूद पड़ी हैं.

मायावती ने दूसरे राज्यों से आ रहे मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों और बसों आदि से भेजने के लिए उनसे किराया भी वसूल रही हैं.

बसपा प्रमुख ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि वे प्रवासी मजदूरों का किराया देने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने लिखा कि अगर सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती हैं, तो बसपा अपने सामर्थ्यवान लोगों से मदद लेकर प्रवासियों को घर भेजने की व्यवस्था में योगदान करेगी.

कांग्रेस का प्रस्ताव

इससे पहले सोमवार सुबह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी प्रवासी मजदूरों के टिकट पर आने वाले खर्च को उठाएगी.

वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुत गांधी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जो रेलवे मजदूरों से किराया वसलू रही है, वही रेलवे पीएम केयर्स में 150 करोड़ रुपये का योगदान कर रही है.

किरकीरी होते देख रेलवे और सरकार हरकत में आई.रेलवे ने घोषणा की कि मजूदरों के टिकट का 85 फीसदी सबसिडी होगी और 15 फीसदी पैसा राज्यों को देना पड़ेगा. हालांकि इस पर भी मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि कल भी रेलवे ने मजदूरों से पूरा किराया वसूला है.