को’रोना वा’यरस को और फैलने से रोकने के लिए शुरू किए गए लॉकडाउन का असर देशभर में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग अपने घर से सैकड़ों-हजारों को किमी दूर फंस गए हैं. इनमें से बहुत से लोगों के पास न तो पैसे बचे हैं और न ही खाने-पीने का सामान. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अपने घर को लौटना चाह रहे हैं.
देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए रेलवे ने स्पेशल रेलगाड़ियां चलाई हैं. इन मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजा जा रहा है. इस तरह की पहली ट्रेन तेलंगाना से जारझंड के हटिया के बीच चलाई गई थी.
मजदूरों पर राजनीति
1. यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों व बसों आदि से भेजने के लिए, उनसे किराया भी वसूल रही हैं। सभी सरकारें यह स्पष्ट करें कि वे उन्हें भेजने के लिए किराया नहीं दे
पायेंगी। बी.एस.पी. की यह माँग है। 1/2— Mayawati (@Mayawati) May 5, 2020
पहली ट्रेन चलने के बाद से ही 10 से अधिक ट्रेने महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, केरल और राजस्थान जैसे राज्यों से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए चलाई जा चुकी हैं.
इन ट्रेनों को चलाने को लेकर रेलवे ने एक दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसमें कहा गया था कि ये ट्रेनें केवल भेजने वाले और पाने वाले राज्य सरकारों के अनुरोध पर ही चलाई जाएंगी. रेलवे ने कहा कि राज्य मजदूरों से किराया वसूल कर रेलवे को देगा. रेलवे ने कहा था कि राज्य जितना पैसा देंगे, उतना ही टिकट छापा जाएगा.
वहीं यह भी खबर आई कि रेलवे मजदूरों के किराए के अलावा 50 रुपये अतिरिक्त वसूलेगा.
संकट में फंसे मजदूरों और किसी तरह भूखे प्यासे रहकर अपने घर लौट रहे मजदूरों से पैसे वसूलने को लेकर देश में बवाल हो गया था. इस पर जमकर राजनीति भी हुई. अब इस राजनीति में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती भी कूद पड़ी हैं.
2. ऐसी स्थिति में बी.एस.पी. का यह भी कहना है यदि सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती है तो फिर बी.एस.पी., अपने सामर्थवान लोगों से मदद लेकर, उनके भेजने की व्यवस्था करने में अपना थोड़ा योगदान जरूर करेगी। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) May 5, 2020
मायावती ने दूसरे राज्यों से आ रहे मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों और बसों आदि से भेजने के लिए उनसे किराया भी वसूल रही हैं.
बसपा प्रमुख ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि वे प्रवासी मजदूरों का किराया देने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने लिखा कि अगर सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती हैं, तो बसपा अपने सामर्थ्यवान लोगों से मदद लेकर प्रवासियों को घर भेजने की व्यवस्था में योगदान करेगी.
कांग्रेस का प्रस्ताव
इससे पहले सोमवार सुबह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी प्रवासी मजदूरों के टिकट पर आने वाले खर्च को उठाएगी.
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुत गांधी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जो रेलवे मजदूरों से किराया वसलू रही है, वही रेलवे पीएम केयर्स में 150 करोड़ रुपये का योगदान कर रही है.
As directed by Congress President,in my capacity as Treasuer(AICC) I request Pradesh Congress Committees to mobilise all possible local resources to help migrants purchase tickets to get back home
Let us make this into a ppl’s movement,pls contact AICC if you require assistance
— Ahmed Patel Memorial (@ahmedpatel) May 4, 2020
किरकीरी होते देख रेलवे और सरकार हरकत में आई.रेलवे ने घोषणा की कि मजूदरों के टिकट का 85 फीसदी सबसिडी होगी और 15 फीसदी पैसा राज्यों को देना पड़ेगा. हालांकि इस पर भी मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि कल भी रेलवे ने मजदूरों से पूरा किराया वसूला है.