प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमने-सामने आ गए है. प्रियंका गांधी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए दिल्ली में ग़ाज़ियाबाद और नोएडा से 500-500 बसें चलाने की इजाज़त यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांगी थी.
जिसे योगी सरकार ने मंजूरी देते हुए कांग्रेस से सभी बसों को हैंडओवर करने के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस मांगे थे. जिस पर देर रात प्रियंका गांधी की ओर से जवाब दिया गया.
उत्तर प्रदेश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने प्रियंका गांधी को लिखे पत्र में कांग्रेस से सभी बसों के हैंडओवर समेत गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट और बस ड्राइवरों का लाइसेंस मंगलवार सुबह 10 बजे तक लखनऊ में जमा कराने के लिए कहा था. कांग्रेस ने रात 2 बजकर 10 मिनट पर इस पत्र का जवाब दिया.
प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार को लिखी चिट्ठी में इस कदम को “पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित” बताया और सवाल किया है कि राज्य की सीमा से बसों को खाली कराकर लखनऊ में औपचारिक रूप से हैंडओवर करने के पीछे क्या औचित्य है.
.@myogiadityanath जी महामारी के समय इंसान की जिंदगी को बचाना, गरीबों की रक्षा करना, उनकी गरिमा की हिफाजत करना हमारा नैतिक दायित्व और अधिकार है।
कांग्रेस इस कठिन समय में अपनी पूरी क्षमता और सेवाव्रत के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है।
ये बसें हमारी सेवा का विस्तार हैं। 1/3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 18, 2020
इससे पहले, प्रियंका गांधी ने लॉकडाउन की वजह से फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए 1,000 बसों को चलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार कर लिया था. कांग्रेस ने इन बसों को राजस्थान से मंगवाया है, जहां पर सत्ता में है. प्रियंका गांधी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील में कहा था, “मैं आपने अनुरोध करती हूं कि यह समय राजनीति करने का नहीं है. हमारी बसें सीमा पर खड़ीं है. हमारी बसों को फंसे मजदूरों को लाने की मंजूरी दी जाए.”