मध्यप्रदेश कैबिनेट विस्तार में 41% कांग्रेसी, सिंधिया का दबद’बा जारी, जाने पूरी गणित

मध्य प्रदेश में सरकार बनने के ठीक 101वें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कैबिनेट का पूरा विस्तार किया. मंत्रिमंडल में सिंधिया का दबद’बा साफ नजर आया है. शिवराज के करीबी कई पुराने मंत्रियों के जगह नहीं मिली. गुरूवार को 28 मंत्रियों ने शपथ ली. इनमें 9 सिंधिया खेमे से हैं, जबकि 7 शिवराज सरकार में पहले मंत्री रह चुके हैं.

शपथ लेने वाले 28 नेताओं में से 20 को कैबिनेट और 8 को राज्य मंत्री बनाया गया है. 4 नेता ऐसे हैं, जो तीन महीने पहले तक कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे थे.14 मंत्री ऐसे हैं, जो विधायक नहीं हैं, जबकि 41 मंत्री पाला बद’लकर “भाजपाई” हुए हैं. शपथ ग्रहण के बाद ऐसे आरो’प लगे हैं कि बीजेपी दो बातें भूल गई- एक अपने “पुराने नेताओं” को और दूसरा “सोशल डिस्टेंसिंग”.

भोपाल में मंत्रियों की शपथ के बाद सिंधिया ने कमल नाथ औऱ दिग्विजय सिंह को  ललका’रते हुए कहा,  “टाइगर अभी जिं’दा है”. उन्होंने कहा, “ना मुझे कमल नाथ से प्रमाणपत्र चाहिए ना दिग्विजय सिंह से. प्रदेश के सामने तथ्य हैं कि 15 महीनों में इन्होंने किस तरह प्रदेश का भं’डार लू’टा है. वा’दाखि’लाफी का इतिहास देखा है. मैं दोनों से यही कहना चाहता हूं कि टाइगर अभी जिं’दा है.”

मंंत्रिमंडल गठन के बाद आ’क्रामक अंदाज में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ललका’रा टाइगर अभी जिं’दा है, वहीं शिवराज पहले ही शायराना हो चुके थे, जब उन्होंने कहा- “मंथन के बाद विष तो शिव को पीना प’ड़ता है.” उपमुख्यमंत्री के नाम पर सुर्खियों में आए नरोत्तम मिश्रा भी इसमें चंद लाइनें जो’ड़ दीं- “जिसने वि’ष पिया बना शंकर, बनी मीरा” … लेकिन अपने उपमुख्यमंत्री के सवाल पर कहा- ‘हमारी पार्टी में इस तरह की परंपरा नहीं है.”

कैबिनेट में 14 मंत्री पूर्व कांग्रेसी

बहरहाल अगर आंकड़ों में देखें तो शिवराज की टीम में अब उन्हें मिलाकर 34 मंत्री हैं. इनमें 59% मंत्री 2018 में बीजेपी के टिकट पर चु’नाव जीते हुए हैं. बाकी 41% यानी 14 मंत्री पूर्व कांग्रेसी हैं. मध्यप्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा पहली बार हुआ है, जब 14 मंत्री विधायक नहीं हैं. शायद इसलिए कांग्रेस को लगता है ये सरकार न्यायसम्मत नहीं. कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा ये सरकार चुनी नहीं गई, बनाई गई है.

देखा जाए तो इस मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा फायदा सिंधिया समर्थकों को ही हुआ है, कमलनाथ सरकार में 6 मंत्री सिंधिया समर्थक थे. शिवराज सरकार में 11 मंत्री सिंधिया कोटे से हैं. इनमें कांग्रेस छो’ड़कर आए और आज मंत्री बने 3 और नेताओं को जोड़ लें, तो इनकी संख्या 14 हो जाती है.  कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बिसाहूलाल सिंह तो अपनी पुरानी पार्टी के आरो’पों पर कहते हैं, “उनकी फालतू बातें हैं सुनने का फायदा नहीं.”

ग्वालियर चंबल में 9 सीटों पर 8 सिंधिया समर्थक मंत्री

एक और अहम बात ग्वालियर-चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इन सीटों पर कुल 9 मंत्री बने हैं, जिसमें 8 सिंधिया समर्थक हैं. इस मंत्रिमंडल पर आने वाले दिनों में होने वाले 24 उपचुनावों की छाया दिख रही है.

वैसे महाकौशल और विंध्य इलाके के किसी भी बड़े नेता को मंत्री नहीं बनाकर ना’राजगी की वजह बढ़ा दी है जबकि बीजेपी को इस बार अच्छी सीटें इन्हीं दोनों इलाकों से मिली थीं. बीजेपी को इस बार विंध्य ने 24 सीटें दीं लेकिन मंत्री बने 3, वहीं महाकौशल से सिर्फ 1.

मालवा निमाड़ में भी 5 सीटें हैं, वहां भी 9 मंत्रीपद बंटे हैं, कोशिश है इस इलाके में बीजेपी अपनी पुरानी धा’क बढ़ा सके. नए मंत्री कह रहे हैं कोई दिक्कत नहीं है. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, “अब विकास की सरकार बनी है, कांग्रेस की सरकार आईफा की सरकार थी, ये आस्था की सरकार है.” वहीं भूपेंद्र सिंह का कहना था, “इस मंथन में अमृत निकला है, क्षेत्रों का समाजों का संतुलन सरकार ने बनाया है”.

संघ की पसंद भी विस्तार में दिखी है, दुर्गावाहिनी में रह चुकीं, क’टार रखने वाली विधायक उषा ठाकुर के तौर पर. मोहन यादव, बृजेंद्र प्रताप सिंह और राम खिलावन पटेल को भी सं’घ और सं’गठन का ही आर्शीवाद मिला है.