कृषि बिलों के खि’लाफ किसानों का प्रदर्श’न लगातार सातवें दिन जारी है। इस बीच किसानों ने बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से इन बिलों को वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
प्रदर्श’नकारी किसानों ने कहा कि नए कृषि कानू’नों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो पांच दिसंबर को केंद्र की मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खि’लाफ पूरे देश में प्रदर्श’न किए जाएंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए क्रां’तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्श’न पाल ने ये बाती कहीं। उन्होंने आरो’प लगाया कि केंद्र किसान संगठनों में फू’ट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदर्श’नकारी किसान तीनों कृषि कानू’नों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। मांग नहीं मानने पर पांच दिसंबर को केंद्र और कॉरपोरेट घ’राने के खि’लाफ पूरे देश में प्रदर्श’न किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘तीनों कृषि कानू’नों को निरस्त करने के लिए केंद्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए।’ किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानू’नों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर बैठक की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए।
माना जा रहा है कि बुधवार को तीन प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों की ओर से उठाए गए मु’द्दों और इसको लेकर चर्चा की है कि नए कृषि कानू’नों को लेकर कैसे कृषकों की चिं’ताओं को दूर किया जाए।
नए कृषि कानू’नों के खि’लाफ विरो’ध प्रदर्श’न कर रहे 35 किसान सं’गठनों की चिं’ताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठु’करा दिया था।
किसान संगठनों के समूह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्य समिति (एआईकेएससीसी) की ओर से जारी बयान में बताया गया कि सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई लंबी बैठक बेनतीजा रही थी।
लगभग दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एकमत राय थी कि तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए। किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानू’नों को कृषक समुदाय के हितों के खि’लाफ करार दिया।
प्रदर्श’नकारी किसानों की आशं’का है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानू’नों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
सरकार लगातार कह रही है कि नए कानू’न किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी। सरकार ने विपक्ष पर किसानों को गु’मराह करने का भी आरो’प लगाया है।