किसान आंदोलन के निप’टने के लिए ने बनाई आ’क्रामक रणनीति, ये रहा पूरा एक्शन प्लान

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानू’नों के खि’लाफ चल रहा किसानों का आंदोलन फिलहाल बिल्कुल भी कमजो’र प’ड़ता नजर नहीं आ रहा है. किसानों और सरकार के बीच फिलहाल कोई बातचीत भी होती नजर नहीं आ रही है. किसान इन कानू’नों को वापस लिए जाने की मांग पर अ’ड़े हुए हैं, वहीं सरकार इनमें बस संशोधन करना चाहती है. लेकिन मा’मला बनता नहीं दिख रहा, वहीं आंदोलन और भी विस्तृत होता जा रहा है, ऐसे में सरकार ने इससे नि’पटने के लिए आ’क्रामक रणनीति बनाई है. 10 बिंदुओं में सरकार का एक्शन प्लान तैयार है, जिसके तहत वो अलग-अलग फ्रंट पर इस पूरे मा’मले से नि’पटने की कोशिश करेगी.

सरकार का 10-सूत्री एक्शन प्लान

​1.किसान सं’गठनों के मतभेद उजागर करना: इसके लिए सरकार लगातार छोटे-छोटे किसान संगठनों से चर्चा कर रही है. कृषि मंत्री इन संगठनों से मुलाकात कर रहे हैं. यह संगठन कृषि कानू’नों के पक्ष में बयान दे रहे हैं.

2.किसान आंदोलन में घु’स आए माओवादी और अलगा’ववादी ताकतों के बारे में प्रचार करना:  वरिष्ठ मंत्री और बीजेपी नेता लगातार टु’कड़े टु’कड़े गैं’ग और माओ’वादी ताकतों, खा’लिस्तानी ताकतों के बारे में बात कर रहे हैं. एक किसान संगठन ने दिल्ली और महाराष्ट्र हिं’सा के आरो’प में पक’ड़े गए लोगों की रिहाई की मांग कर सरकार को और ब’ल दे दिया. विदशों में हुए प्रदर्श’नों में खा’लिस्तानी तत्वों की मौजूदगी ने इन आ’’रोपों को हवा दी है कि इस आंदोलन को अलगा’ववादी ताकतों का समर्थन है.

3.आं’दोलनकारी किसान संगठनों में फू’ट डालना: भारतीय किसान यूनियन के कुछ गुटों से सरकार ने अलग से बातचीत की. बीकेयू भानु गुट से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बात की और नोएडा का रास्ता खुलवाया गया जिसे लेकर इन सं’गठनों में आपस में ही मतभे’द हो गए. अलगाववादी ताकतों को लेकर सरकार के प्रचार के बाद कई किसान सं’गठनों ने बीकेयू के उग्रान गुट से खुद को अलग किया जिसने मानवाधिकार दिवस पर रिहाई की मांग की थी. बाद में बीकेयू उग्रान ने किसान संगठनों के सोमवार के अनशन से खुद को अलग कर लिया.

4.किसानों से बातचीत की पेशकश करना: कृषि मंत्री और अन्य मंत्री कई बार कह चुक हैं कि सरकार आंदोलनकारी किसानों से चर्चा के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने क्लाज बाइ क्लाज चर्चा की फिर पेशकश की. इस तरह सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह अ’ड़ी हुई नहीं है. बल्कि संशोधन की पेशकश कर पीछे ह’टने का संदेश भी दे चुकी है.

5.जनमत तैयार करना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री 700 से अधिक जिलों में प्रेस कांफ्रेंस, किसान रैली और चौपालों के माध्यम से कृषि कानू’नों के फायदे गिनाएंगे. इस बारे में उठे सवालों का जवाब दिया जाएगा. यह जनमत अपने पक्ष में करने का प्रयास होगा ताकि किसान आंदोलन को देश भर में फैलने से रो’का जा सके.

6.हरियाणा में सतलुज-यमुना नहर का मु’द्दा उठाना: बीजेपी के हरियाणा के सांसदों और विधायकों ने कल कृषि मंत्री और जल संसाधन मंत्री से मांग की है कि सतलुज यमुना नहर के मु’द्दा का समाधान किया जाए. यह पंजाब के किसानों के साथ आए हरियाणा के किसानों को भावनात्मक रूप से कमजो’र करने का प्रयास है क्योंकि इसे हरियाणा के हक से जो’ड़कर देखा जाता है.

7.हरियाणा में स्थानीय निकाय के चुनाव: राज्य सरकार जल्दी ही स्थानीय निकाय के चु’नावों का ऐलान कर सकती है ताकि किसान और प्रभावशाली नेताओं का ध्यान आंदोलन से भ’टके. राज्य में अगले दो महीनों में चुनाव कराने का प्रस्ताव है.

8.नौकरियों के लिए भर्ती का ऐलान: हरियाणा सरकार तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए भर्ती अभियान चलाने का ऐलान कर सकती है ताकि आंदोलन में जुटे युवाओं को आंदोलन से दूर किया जा सके

9.बीजेपी मुख्यमंत्रियों ने संभाली कमान: सभी बीजेपी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में किसान आंदोलन को न बढ़ने दें. सभी बीजेपी सीएम मीडिया के माध्यम से किसानों के मन में उठी आशंकाओं को दूर करेंगे. इसके लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है.

10.विपक्षी दलों की भूमिका उजागर करना: सरकार विपक्षी दलों की दोहरी भूमिका उजागर कर रही है जिन्होंने किसी समय कृषि सुधारों का समर्थन किया था. किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों के झंडे दिखने से सरकार कह रही है कि इस आंदोलन का राजनीतिकरण हो गया है और किसान संगठन विपक्षी दलों के हाथों में खेल रहे हैं.