किसान नेता की सरकार को चेतावानी, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की तरह…

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार किसानों को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की तरह समझती है जिन्हें वे हटाने में सफल रही थी। पर ऐसा होने वाला नहीं है। भारतीय किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह ने कहा, ”ऐसा लगता है जैसे सरकार किसानों को हल्के में ले रही है। सरकार शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने में सफल रही थी, हमारे साथ भी सरकार ऐसा करना चाह रही है। पर ऐसा दिन कभी आने वाला नहीं है। अगर सरकार ने 4 जनवरी को कोई फैसला नहीं लिया तो फिर किसानों को ही फैसला करना होगा।”

प्रेस वार्ता में स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत 4 जनवरी को होगी। अगर हमारी मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं तो फिर हम कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर 6 जनवरी को मार्च करेंगे। शाहजहांपुर सीमा से आगे कब बढ़ा जाएगा इसकी तारीख भी बता दी जाएगी। शाहजहांपुर में कल कुछ किसानों ने बैरिकेड तोड़े थे और आगे बढ़े थे। संयुक्त किसान मोर्चा से बातचीत के बाद वे वहीं रुक गए । फिलहाल मोर्चा शाहजहांपुर में ही रहेगा।

योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार का ये दावा कि आधे मुद्दों का निपटारा हो चुका है सरासर झूठ है। हमारी मुख्य मांगें जिनमें कृषि कानून को वापिस लेना और MSP की कानूनी गारंटी शामिल है अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। वहीं हरियाणा किसान नेता विकास सिसर ने कहा, हरियाणा में सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए गए हैं। सभी पेट्रोल पंप बंद कर दिए गए हैं। बीजेपी और जजपा नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

बता दें कि सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी बात नहीं बन सकी है। किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से डटे हुए हैं। अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। प्रदर्शनकारी किसानों की दो मुख्य मांगों पर अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। जिसमें तीन कृषि कानूनों को खत्म करना और एमएसपी की कानूनी गारंटी देना शामिल है।

सितंबर 2020 में संसद से पारित कृषि कानूनों को सरकार प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में बता रही है और दावा कर रही है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी। विरोध कर रहे किसानों की चिंता है कि ये कानून एमएसपी और मंडी प्रणालियों को कमजोर कर देंगे और बड़ी कंपनियों की दया पर छोड़ देंगे।