देश में कोरो’नावा’यरस से बचाव के चलते लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के तीसरे चरण से पहले ही केंद्र सरकार ने फंसे हुए मजदूरों व कामगारों को उनके राज्य जाने की मंजूरी दी थी. केंद्र की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं.
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कई राज्यों में मजदूरों से किराए के पैसे लिए जा रहे थे. मामले ने तूल पकड़ा, जिसके बाद अधिकतर राज्यों ने किराया नहीं वसूलने की बात कही. कांग्रेस पार्टी भी मजदूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार दिखी. पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने खुद इसकी घोषणा की थी. अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर एक सवाल पूछा है.
प्रशांत किशोर ने कुछ देर पहले एक ट्वीट करते हुए पूछा, ‘रेलवे 85% सब्सिडी दे रहा है. केंद्र पैसे ले नहीं रहा और राज्य तो किराए के साथ कई और सुविधाएं देने का दावा कर रहे हैं. अब तो विडम्बना ये कि विपक्ष ने भी सबका किराया देने की बात कही है. अगर सबलोग इतना कुछ कर रहे हैं तो मज़दूर इतने बेबस क्यों हैं और उनसे ये पैसे ले कौन रहा है?’
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गौरतलब है कि मजदूरों के किराए को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. बिहार के मंत्री संजय कुमार झा ने दिल्ली सरकार पर आ’रोप लगाते हुए कहा, ‘मैंने दिल्ली सरकार के मंत्री का एक ट्वीट देखा, जिसमें उन्होंने लिखा था कि दिल्ली से मुजफ्फरपुर जाने वाले 1200 प्रवासियों का किराया दिल्ली सरकार ने वहन किया है. मेरे पास दिल्ली सरकार का एक पत्र है, जिसमें बिहार सरकार से रकम की भरपाई की मांग की गई है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक ओर आप मजदूरों को अपने खर्च पर भेजने का क्रेडिट ले रहे हैं और दूसरी तरफ आप बिहार सरकार से पैसे वापस करने की मांग कर रहे हैं.’
इसके जवाब में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘मजदूरों से पैसे लेना सही बात नहीं है. वो पिछले दो महीने से शेल्टर होम में रह रहे थे. उनके पास टिकट खरीदने के पैसे कहां से आएंगे, तो दिल्ली सरकार ने टिकट का पैसा दिया. उन्हें इसपर राजनीति नहीं करनी चाहिए.’