सुप्रीम कोर्ट के पूर्व वकील मार्केण्डेय काटजू ने सावरकर की जयंती मनाए जाने पर निशा’ना साधा है। काटजू ने गुरुवार को ट्विटर पर कहा कि कुछ लोग सावरकर की तारीफ कर रहे हैं।
मैं कहना चाहता हूं कि वह एक बेश’र्म ब्रिटिश एजेंट था, जिसने मुस्लिमों के खिला’फ नफर’त फैलाई और ब्रिटिश साम्राज्य की बांटो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया। काटजू ने इस ट्वीट के साथ अपने ब्लॉग का लिंक भी दिया, जिसमें उन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया के पीछे की वजह बताई।
काटजू ने ब्लॉग में कहा, “कई लोग सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं, लेकिन उनके बारे में असलियत क्या थी? सच्चाई यह है कि ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश ताकतों ने कई राष्ट्रवादियों को गिरफ्’तार कर लंबी स’जाएं दे दीं। जेल में ब्रिटिश उन्हें प्रस्ताव देते कि या तो हमारे साथ मिल जाओ, जिस पर हम तुम्हें आजाद कर देंगे या फिर पूरी जिंदगी जे’ल में ही स’ड़ते रहो।”
काटजू ने आ’रोप लगाया कि सावरकर समेत कई अन्य ब्रिटिशों के साथी बन गए। उन्होंने कहा कि सावरकर सिर्फ 1910 तक ही राष्ट्रवादी थे, जब वे गिरफ्ता’र हुए थे और उन्हें दो उम्रकै’द की स’जाएं हुईं
Today is Savarkar’s birth anniversary. Since some people have praised.him on twitter, I would like to say that he became a shameless British agent, preaching hatred against Muslims, which furthered the British policy of divide and rule.
Read my blog https://t.co/UjBMjBXew5
— Markandey Katju (@mkatju) May 28, 2020
काटजू ने कहा, “जेल में 10 साल की स’जा का’टने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें साथ मिल जाने का प्रस्ताव दिया, जिसे सावरकर ने मान लिया। जे’ल से बाहर आने के बाद उन्होंने हिंदू सं’प्रादायिकता अपना ली और ब्रिटिश एजें’ट बन गए, जो कि ब्रिटेन की बां’टों और रा’ज करो की नीति आगे बढ़ा रहे थे।”
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा कि जब द्वितीय विश्व यु’द्ध चल रहा था तब सावरकर राजनीति के हिंदुत्वी’करण की बात कह रहे थे और युद्ध में ब्रिटेन का साथ देने के लिए हिंदुओं को मिलिट्री ट्रेनिंग देने की मांग उठा रहे थे।
इसके अलावा जब कांग्रेस ने 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो अभियान चलाया तो सावरकर ने उसकी आ’लोचना की और हिं’दुओं से ब्रिटिश सरकार की अव’हेलना न करने की अपील की। सावरकर ने हिंदुओं से अपील की थी कि वे सेना में अपना नाम लिखवाएं और यु’द्ध की कलाएं सीखें, लेकिन यह अपील सिर्फ हिं’दुओं को ध्यान में रखते हुए की गई थीं।
काटजू ने पूछा, “क्या ऐसे आदमी को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर सम्मान दिया जा सकता है?” उन्होंने आगे कहा, “देश के असली वीर थे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सूर्य सेन, बिस्मिल, अशफाकुल्ला, राजगुरु, खुदीराम बोस जो कि ब्रिटिश ता’कतों द्वारा फां’सी पर चढ़ा दिए गए। सावरकर के बारे में ऐसा क्या वीर था?”