मध्यप्रदेश: कमलनाथ ने किया था 22 लाख किसानों का कर्ज माफ़, सरकार गि’रते ही…

मध्य प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी को लेकर भाजपा और कांग्रेस में वि’वाद गह’राता जा रहा है। दरअसल, राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के ठीक बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों का कर्जा माफ करने का भरोसा दिया था।

हालांकि, इससे पहले कि कांग्रेस यह वादा पूरा कर पाती, कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार विधायकों के इस्तीफे की वजह से गि’र गई। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने आ’रोप लगाया है कि कांग्रेस ने किसानों को क’र्जमाफी के सर्टिफिकेट तो बां’ट दिए, लेकिन किसी का भी लोन नहीं माफ हुआ, जिससे किसान अब डिफॉल्टरों की श्रेणी में आ गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस उ’ठापटक के चलते अब बैंकों ने सीधे किसानों को फोन कर लोन की राशि भरने के लिए कहना शुरू कर दिया है। एमपी सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल का आरो’प है कि कोऑपरेटिव बैंकों से जो 2 लाख रुपए तक का लोन माफ करने के लिए कहा गया, उससे कन्फ्यूजन पै’दा हुआ। क्योंकि पिछली सरकार ने इन बैंक के प्रशासकों से कर्जमाफी की आधी लागत वहन करने के प्रस्ताव देने के लिए कहा था।

अब कर्जमाफी का मा’मला अटकने के बीच कोऑपरेटिव सोसाइटी का कहना है कि किसानों की कर्जमाफी तभी हो सकती है, जब उसे पैसा मिले। ऐसे समय में भाजपा सरकार की तरफ से किसानों की कर्जमाफी पर चुप्पी साध ली गई है।

कृषि मंत्री ने इस मा’मले में किसानों से पूर्व की कांग्रेस सरकार के खि’लाफ वा’दाखिलाफी की शिकायत करने के लिए कहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि किसानों पर कोई प’रेशानी नहीं आएगी।

 

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पहले चरण में 21 लाख किसानों के 6,000 करोड़ के कर्ज माफ किए थे। दूसरे चरण में 50 हजार से 1 लाख रुपए तक के स्टैंडर्ड खातों वाले 7 लाख किसानों के कर्ज माफ किए जाने थे, लेकिन 2 लाख किसानों के ही कर्ज माफ हो पाए। कांग्रेस ने कहा था कि तीसरे और अं’तिम फेज में 1 लाख से 2 लाख रुपए तक वाले लोन माफ हो जाएंगे, लेकिन इससे पहले ही उनकी सरकार गि’र गई।