तब्लीगी जमात के प्रमुख के बारे में दिल्ली पुलिस ने बोल दिया कि मौलाना शाद की ऑडियो फ़र्ज़ी हैं इस मुद्दे को लेकर मीडिया ने आम लोगो में सा’म्प्रदायिक ज़हर भर दिया हैं.
लेकिन जमात का एक पहलु क्या हैं उसी को आज हम आपको दिखाते हैं.
यहाँ एक साल पीछे कि एक तस्वीर सबको दिखाना चाहता हूँ, जिसकी मौजूदा दौर में प्रासंगिकता बन गयी हैं.
ये तस्वीर मैंने होली फॅमिली अस्पताल में उस वक़्त ली थी, जब एक तब्लीगी जमाती अपने ब्राह्मण दोस्त के लिए रात दिन एक किये उसकी सेवा भाव में लगा हुआ था.
ये बेमिसाल जोड़ी हैं जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रिसर्च स्कॉलर हसनैन बेग और वहीं से वकालत कर रहे सुयश त्रिपाठी की,
दोनों खुदाई खिदमतगार हैं और अब सबका घऱ में साथ भी रहते हैं.
मैंने अक्सर देखा कि जब भी सुयश को कोई काम हुआ या उस रात जब अचानक उसकी तबियत खराब हुई तो सुयश ने कराहते हुए सबसे पहले हसनैन बेग को ही आवाज़ लगायी.
क्योंकि सुयश को पता था हसनैन तब्लीगी हैं और तब्लीगी जमाअत के मूल सिद्धांतो में से एक खिदमत (सेवा) भी हैं. इसलिए उस रात ही नहीं बल्कि हफ्तों तक हसनैन बेग ने सुयश की तीमारदारी करते हुए उसकी दवाईयों का खर्च भी अपनी जेब से उठाया।
आज इन्ही मुस्लिमो के बीच उनकी बस्ती में सुयश त्रिपाठी अपनी सभी धार्मिक किर्याऍ शान से करते हैं.
ये हैं जामिया की मिट्टी में पनपा एक ब्राह्मण और एक तब्लीगी दाढी वाले का प्यार और आपसी भाईचारा।
ऐसे हज़ारो उदाहरण मिल जायेगे इन जमातियों के क्या तुम अपने ज़हर से इन्हे खत्म कर पाओगे?
नहीं कभी नहीं.
साभार: हिमांशु कुमार की फेसबुक वाल से लिया गया लेख।
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