42 डिग्री टेंप्रेचर में भी 18 घंटे कड़ी ड्यूटी कर रोजा रख रहे भोपाल डीआईजी

राजधानी के युवा डीआईजी इरशाद वली अपनी कड़ी महनत और सोशल पुलिसिंगके लिए जाने जाते हैं। अमन के लिए मसरुफियत (व्यस्तता)के बीच हर कॉल अटैंड करना, तत्काल आमजनों की तकलीफों को हल कराना,शहर को परिवार मानकर दिन रात उसकी फिक्र में डूबे रहना इनकी शख्सीयत को दूसरों से (इतर) अलग पहचान देती है।

इस सबके बीच डीआईजी इबादत में भी कोई कोताही नहीं बरतते हैं। कोरो’ना सं’क्रमण की वजह से वह इन दिनों पत्नी और अपने मासूम बच्चों से अलग फारेस्ट के चार इमली में स्थित गेस्ट हाउस में ठहरे हैं। यहीं सहरी,इफतार के साथ फ्री समय में कुरआन पाक की तिलावत करते हैं।

रोज़े में होने बावजूद 42 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी के बीच 18 घंटे की ड्यूटी करते हैं। भोपाल के तमाम ग्रमीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों में बने कंटेंटमेंट एरियों का हर रोज़ भ्रमण करते हैं। इतना ही नहीं कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शहर में होने वाली तमाम हलचल पर पैनी नजरें रखते हैं।

जानकारी के अनुसार भोपाल पुलिस में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए करीब एक माह से डीआईजी इरशाद वली चार इमली के फारेस्ट दफ्तर में स्थित गेस्ट हाउस में निवासरत हैं।

रमजानों में यहीं सहरी और इफ्तार कर रहे हैं। हालांकि दोनों वक्त में खाना उनकी पत्नी श्रीमति सूफिया वली ही भेजती हैं। तड़के चार बजे श्री वली सेहरी करते हैं। इसके बाद वह फजिर की जमाज पढ़कर अपने काम में जुट जाते हैं।

सुबह नौ बजे से फील्ड के लिए रवाना हो जाते हैं। दिन भर तप्ती धूप में शहर का भृमण करते हैं। व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए सेट पर संबंधित अधिकारी कर्मचारियों को उचित आदेश और निर्देश देते हैं। शाम करीब 6 बजे गेस्ट हाउस में लौटकर इफ्तार की तैयारी करते हैं।

परिजनों के संपर्क में रहने के लिए कई बार वीडियो कॉल का सहारा लेते हैं। बच्चों के द्वारा ज्यादा जिद करने पर घर तो जाते हैं पर अंदर जाए बगैर गार्डन में दूर से बात-चीत कर चंद मिनटो में लौट आते हैं।

डीआईजी का कहना है कि उनके लिए फर्ज सर्वश्रेष्ठ है। उनका कहना है कि इफ्तार के बाद दोबारा फील्ड पर निकलते हैं। रात करीब 12 बजे तक कार्य करने के बाद गेस्ट हाउस लौटते हैं और चेंज कर सो जाते हैं। तड़के साढ़े तीन बजे दोबारा सहरी के लिए उठना होता है।