भारत-चीन सीमा विवाद पर बैठक के बाद शांति से हल निकालने पर सहमत हुए दोनों पक्ष, नेपाल ने भेजा ये प्रस्ताव

भारत चीन विवाद के बीच शनिवार को दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की मीटिंग हुई। इस मीटिंग के बाद रविवार को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि दोनों देश शांति से सीमा विवाद द्विपक्षीय तरीकों से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। इसी बीच नेपाल ने भी सीमा वि’वाद को लेकर भारत को विदेश सचिव स्तर की बातचीत का प्रस्ताव भेजा है।

बता दें कि भारत और नेपाल के बीच कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधारा इला’कों को लेकर विवा’द है। बीते दिनों भारत ने जो अपना राजनैतिक नक्शा पेश किया था, उसमें इन इलाकों को अपना बताया है, जबकि नेपाल इन इलाकों पर अपना हिस्सा बता रहा है।

नेपाल के प्रस्ताव के मुताबिक दोनों देशों के विदेश सचिव के बीच प्रस्तावित यह बैठक वर्चुअल हो सकती है। हालांकि अभी तक इस बैठक को लेकर भारत की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया है।

भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के कम होने की उम्मीद बनी है। यह मीटिंग सकारात्मक रही और इस मीटिंग से आगे भी बातचीत का रास्ता खुल गया है, जिससे त’नाव को कम करने में मदद मिलेगी। सूत्रों के अनुसार, इस मीटिंग में भारत ने सीमा पर यथास्थिति बहाल करने की मांग की है।

लद्दाख के चुसुल-मोल्डो बॉर्डर पर हुई इस मीटिंग में भारत की तरफ से सेना की 14 कॉर्प्स कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल हुए। वहीं चीन की तरफ से इस बैठक में साउथ शिनजियांग मिलिट्री कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन ने हिस्सा लिया।

शनिवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे शुरू ही दोनों देशों के कमांडरों के बीच मीटिंग कई घंटे चली। मीटिंग के बाद लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने मीटिंग की जानकारी सेनाध्यक्ष को दी।

बता दें कि दोनों तरफ से बातचीत की कोशिश हो रही है, लेकिन चीन आ’क्रामक रुख अपनाए हुए हैं। चीन ने इस दौरान विवा’दित सीमा के पास बड़ी संख्या में अपनी सेना की तैनाती की है। भारत की तरफ से इसका जवाब दिया गया है और भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

मानसरोवर यात्रा सड़क मार्ग के उद्घाटन से भ’ड़का विवा’द

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को लिपुलेख से होते हुए मानसरोवर यात्रा के लिए बनी एक सड़क का उद्घाटन किया था। जिससे नेपाल में भारत के खिला’फ विरो’ध शुरू हो गया।

नेपाल का दावा है कि लिपुलेख इलाका उसका हिस्सा है। नेपाल विदेश मंत्रालय ने इस पर आ’पत्ति जतायी। इसके बाद 20 मई को नेपाल ने अपना नया राजनैतिक नक्शा पेश किया, जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिम्पिलायाधारा इलाकों को अपने क्षेत्र में दिखाया गया था।

भारत और चीन के बीच राजनयिक स्तर पर हो चुकी है बातचीत

उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर बातचीत हुई और इस दौरान दोनों पक्षों में अपने “मतभेदों” का हल शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये एक-दूसरे की संवेदनाओं और चिंताओं का ध्यान रखते हुए निकालने पर सहमति बनी थी।

इससे पहले सूत्रों ने कहा था कि भारतीय पक्ष पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगोंग सो और गोगरा में यथा स्थिति की पुन:बहाली के लिये दबाव बनाएगा और क्षेत्र में काफी संख्या में चीनी सैनिकों के जमावड़े का भी विरोध करेगा और चीन से कहेगा कि वह भारत द्वारा सीमा के अपनी तरफ किये जा रहे आधारभूत ढांचे के विकास का विरोध न करे।

दोनों देशों के बीच जारी रहेगी बातचीत

भारतीय सेना ने शनिवार को कहा कि भारत और चीन के अधिकारियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र में मौजूदा तनाव की स्थिति को दूर करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रहेगी।