आईएएस रानी नागर ने दिया इस्तीफा, कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर किया था ज़िक्र

चंडीगढ़ में कर्फ्यू हटते ही हरियाणा कैडर की आईएएस रानी नागर ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्य सचिव को भेजा। अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट लिखकर उन्होंने इसकी जानकारी दी। इस्तीफा देने के साथ ही उन्होंने अपने घर गाजियाबाद लौटने के लिए पास का आवेदन भी कर दिया है।

अपनी और बहन की जान को खतरा बताया था

https://twitter.com/ias_raninagar/status/1257196925792608257?s=20

बता दें कि 2014 बैच की आईएएस अधिकारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। गत 23 अप्रैल को अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट डाली थी, जिससे अफसरशाही में हलचल मच गई थी। वह दिसंबर 2019 से बहन के साथ चंडीगढ़ के सेक्टर-6 स्थित यूटी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 311 में किराए पर रह रही हैं।

रानी ने 17 अप्रैल को अपने फेसबुक वॉल पर एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें उन्होंने व रीमा नागर ने जान को ख’तरा बताते हुए लोगों से अपील की थी। रानी जून 2018 में पशुपालन विभाग में अतिरिक्त सचिव रहते तत्कालीन एसीएस सुनील गुलाटी पर उ’त्पीड़न के आ’रोप लगाकर सुर्खियों में आई थीं।

उन्होंने सीएम व मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था। रानी 14 नवंबर 2018 से अतिरिक्त निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता व 7 मार्च 2020 से निदेशक अर्काइव का जिम्मा संभाल रही थीं।

पहले भी रही सुर्खियों में

रानी नागर ने पशुपालन विभाग में अतिरिक्त सचिव रहते हुए तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सुनील गुलाटी पर दुर्व्यवहार व उत्पी’ड़न के आ’रोप लगाए थे। मामला सीएम तक पहुंचा था। गुलाटी आ’रोपों को नकार चुके हैं। उन्होंने सरकार को भी जवाब दे दिया था।

एक कैब ड्राइवर पर भी बदतमी’जी का आ’रोप लगा चुकीं।

डबवाली में एसडीएम रहते हुए भी अपनी जान को ख’तरा बताया था। डीजीपी को शिकायत दी थी।

सुरक्षा न मिलने का मुद्दा भी रानी नागर उठा चुकी हैं।

गुलाटी के खिला’फ ताकतवर आईएएस लॉबी

आईएएस सुनील गुलाटी केंद्र में प्रतिनियुक्ति से हरियाणा लौटने के बाद खुड्डेलाइन पोस्टिंग पर ही रहे हैं। प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी, पशुपालन एवं डेयरी, मत्स्य पालन व हरियाणा मिनरल्स लिमिटेड विभाग ही उनके पास रहे। आईएएस की ताकतवर लॉबी उनके खिलाफ है। वह सरकार को भी फूटी आंख नहीं सुहाते। गुलाटी वर्तमान में मुख्य सचिव के बाद सबसे वरिष्ठ आईएएस हैं लेकिन न तो उन्हें वित्तायुक्त लगाया गया, न ही अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्य सचिव बनने की उनकी राह में भी रोड़े अटकाए जा रहे हैं।