जाने निर्मला सिंह से कैसे बनी थीं सरोज खान, मशहूर कोरियोग्राफर ने क्यों क’बूला था इस्लाम ?

बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का दिल का दौरा प’ड़ने से निध’न हो गया। वो 72 साल की थीं। सरोज खान का जन्म 22 नवंबर 1948 को किशनचंद सद्धू सिंह और नोनी सद्धू सिंह के घर हुआ था। सरोज ने 200 से ज्यादा फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी की थी। निर्मला के तौर पर जन्म होने के बाद सरोज का परिवार विभाजन के बाद भारत आ गया था।

उन्होंने बाल कलाकार के तौर अपने करियर की शुरुआत तीन सील की उम्र में की थी। पहली बार वो नजराना फिल्म में श्यामा के रूप में नजर आई थीं। इसके बाद 1950 के दशक में वो बैकग्राउंड डासंर का काम करती थी। यहां हम सरोज खान से जुड़ी वो तमाम बातें बता रहे हैं जिनके कई लोग अंजान हैं।

सरोज खान ने 13 साल की उम्र में बी सोहनलाल से शादी हो गई थी जो पहले से शादीशुदा थे। दोनों की उम्र में 30 साल का लंबा गैप था। उन्होंने अपने पति से ही डांस सिखा। इसके बाद वो खुद कोरियाग्राफर बनने के लिए चल प’ड़ीं। पहले वो असिस्टेंट कोरियोग्राफर थीं। इसके बाद 1974 में आई फिल्म गीता मेरा नाम से वो स्वतंत्र कोरियोग्राफर बन गईं।

सरोज खान ने जब सोहनलाल से शादी की थी तब उन्हें इस बारे में नहीं पता था कि उनके पति पहले से ही शादीशुदा हैं। सोहन से शादी के बाद सरोज ने एक बेटे राजू खान को भी जन्म दिया था। तब उन्हें सोहनलाल की शादी के बारे में खबर हुई। 1965 में सरोज खान को दूसरा बच्चा भी हुआ लेकिन ब’च न सका। सोहनलाल ने उनके बच्चे को अपनाने से मना कर दिया। यही वजह थी कि दोनों के रिश्ते में दरा’र आ गई।

कोरियोग्राफर ने पाकिस्तानी टीवी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम को कु’बूला था। वो आज तक मु’स्लिम ध’र्म का पालन करती हैं।सरोज को सफलता मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी के ऊपर फिल्माए गए गाने हवा-हवाई से मिली थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मु’ड़कर नहीं दिखा। डांसिग दीवा माधुरी को डांस सिखाने में उनका अहम योगदान रहा है।