को’रोना संक’ट के बीच भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ता नज़र आ रहा है। नेपाल सरकार ने तय किया है कि वह एक नया राजनीतिक मैप जारी करेगी जिसमें विवा’दित क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल की टेरिटरी में शामिल होंगे।
सोमवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप को मंजूरी दी गई है। भारतीय नक्शे ने इन क्षेत्रों को लंबे समय से अपनी टेरिटरी में दिखाया है। हालांकि काठमांडू ने जोर देकर कहा है कि यह सुगौली की 1816 ट्रीटी का उल्लंघन है।
मैप जारी होने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा, “लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। नेपाल के सभी इलाकों को दिखाते हुए एक आधिकारिक मैप जारी होगा।”
नेपाल सरकार के प्रवक्ता युवराज खातीवाड़ा ने कहा कि नए राजनीतिक मानचित्र का उपयोग हर सरकारी निकाय और सभी पाठ्य पुस्तकों में किया जाएगा।
वहीं पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है। लिपुलेख वो इलाक़ा है जो चीन, नेपाल और भारत की सीमाओं से लगता है। नेपाल भारत के इस क़दम को लेकर नाराज़ है।
लिपुलेख में कथित ‘अतिक्रमण’ के मुद्दे को लेकर नेपाल में भारत विरोधी प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवाना ने शुक्रवार को कहा था कि उत्तराखंड में चीन की सीमा पर लिपुलेख पास तक बनी नई भारतीय रोड के खिला’फ नेपाल का विरो’ध किसी और के इशा’रे पर हुआ था।
उनके बयान का व्यापक रूप से यह अर्थ निकाला गया है कि नेपाल चीन के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहा है, ऐसे समय में जब लद्दाख में चीनी पीएलए और भारतीय सेना के बीच LAC पर तना’व बढ़ गया है। धारचूला से लिपुलेख तक बनाई गई इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। सड़क लद्दाख में तना’व के वर्तमान दृश्य से बहुत दूर है।
यह कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर है, जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर जाती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह रोड ‘सीमा सड़क संगठन’ द्वारा बनाई गई है। इसका निर्माण रणनीतिक, धार्मिक और व्यापार कारणों को देखते हुए किया गया है।