कोरोना से पहले ही 50% कम हो गई थी हमारी जीडीपी, 8 से 4.2 पर आ गया था आंकड़ा; देखे पूरा विश्लेषण

कोरो’ना का’ल में भारतीय अर्थव्यवस्था 4 दशक की सबसे बड़ी गि’रावट झे’लते हुए जून तिमाही में 23.9 फीसदी नीचे चली गई। जीडीपी ग्रोथ में इस कमी के लिए सरकार भले ही लॉ’कडाउ’न को जिम्मेदार बता रही है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है।

आंकड़ों पर गौ’र करें तो बीते करीब 5 सालों से ही अर्थव्य’वस्था लगातार गि’रावट के दौर से गुजर रही थी। अर्थ’व्यवस्था के मुख्य स्तंभ कहे जाने वाले मैन्यु’फैक्चरिंग सेक्टर में 39.3%, कंस्ट्रक्शन में 50.3 फीसदी फीसदी और ट्रेड में 47 पर्सेंट की कमी आई है। इसके अलावा उपभोग और निजी सेक्टर के निवेश में भी भारी कमी के चलते अर्थव्यवस्था पस्त हुई है।

‘ऐक्ट ऑफ गॉड’ बताते हुए कोरो’ना को जिम्मे’दार ठह’राया

पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सुस्ती को ‘ऐक्ट ऑफ गॉड’ बताते हुए कोरो’ना को जिम्मे’दार ठह’राया था। हालांकि यह पूरा सच नहीं है और बीते करीब 5 सालों से लगातार अर्थव्यवस्था गि’रावट झे’ल रही थी। वित्त वर्ष 2019-20 की ही बात करें तो अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.2 पर्सेंट थी और फिर कम होते हुए चौथी तिमाही में 3.1 पर्सेंट ही रह गई। 2015-16 से अब तक के आंकड़ों की बात करें तो यह गि’रावट लगातार जारी है।

5 साल से लगातार आ रही गिरावट:

2015-16 में भारत की आर्थिक ग्रोथ 8 फीसदी रही थी, इसके बाद 2016-17 में मामूली सुधार हुआ और यह दर 8.2 पर्सेंट हो गई। 2017-18 में यह आंकड़ा और लु’ढ़कते हुए 7.2 पर्सेंट पर ही ठ’हर गया, जबकि 2018-19 में 6.1 फीसदी ही ग्रोथ रह गई।

इसके बाद 2019-20 में बड़ी गि’रावट के साथ यह आंकड़ा महज 4.2 पर्सेंट ही रह गया। आर्थिक जानकारों का कहना है कि पहली तिमाही में 23.9 पर्सेंट की गि’रावट झे’लने वाली अर्थव्यवस्था इस पूरे साल ही नि’गेटिव ग्रो’थ में रह सकती है।

और भी बु’रा हो सकता था आंकड़ा:

दरअसल जी़डीपी ग्रोथ के आं’कड़ों में असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाता, जिस पर कोरो’ना का’ल में सबसे ज्यादा मा’र पड़ी है। मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन में असंगठि’त क्षेत्र का अहम योगदान रहता है। ऐसे में यदि वह आं’कड़े भी शामिल होते तो यह गि’रावट और भी ज्यादा दिखती।