यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का ब’यान : खाकी, खादी और अप’राध का मिश्रण है वि’कास दुबे

कानपुर में आठ पुलि’सकर्मियों की शहादत के बाद इस घ’टना के मुख्य आ’रोपी गैं’गस्टर विका’स दुबे की तला’श जारी है. वहीं, दूसरी तरफ कान’पुर प्र’शासन ने विकास दुबे के बिठुर स्थित आवास को गि’रा दिया है. विकास दुबे को द’बो’चने के लिए एटी’ए’स और यूपी पुलिस चप्पे-चप्पे पर नि’गाह लगाए हुए है. इसके लिए लगातार छा’पेमा’री जारी है. इस बीच प्रदेश के पूर्व डी’जी’पी विक्रम सिंह ने दंगल में कहा कि वि’कास दु’बे जैसे लोग पु’लिस, राजनीति और अप’राध की मिलीभगत से पैदा होते हैं और आगे चलकर अप’राध की अपनी दुनिया कायम करते हैं.

बता दें, शही’द पु’लिसकर्मियों के पोस्ट’मा’र्टम में खुला’सा हुआ है कि सीओ के सीने’ पर स’टा कर गो’ली मा’री गई, सीओ देवेंद्र मिश्रा के कमर पर कुल्हा’ड़ी से वा’र किया गया था. दारो’गा अनूप को 7 गो’लियां ‘मा’री गई हैं. चार जवा’नों के शरीर से गो’लियां आ’रपार हो गई थीं. अन्य पु’लिसक’र्मियों के शरीर से कार’तूस के टु’कड़े मिले हैं. इतना जघ’न्य अप’राध करने के बावजूद विकास दुबे अब तक फा’रार है और ‘पु’लिस को का’नों’कान खबर नहीं लगी. इस पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि यह (विकास दुबे) खा’की, खा’दी और अपरा’ध के मिश्रण की सबसे न’ग्न मिसाल है. ऐसा संगठन ‘ढूंढना मुश्किल है जो इसके टुकड़े पर न पला हो.

विक्रम सिंह ने कहा, सरकारी विभाग हो या राजनीतिक दल हों, अनै’तिक लोगों ने आज इस सं’पोले को अज’गर बना दिया है. ऐसी उम्मीद की जाती है कि ऐसे लोग दो-दिन में मिल जाएं लेकिन ऐसी सफलता 15 दिन बाद ही मिलती है.

हर जगह सत’र्कता है और यह शा’तिर दिमाग आदमी है जिसके पास ए’के-47 और इनसास जैसे ह’थि’यार और 300 राउंड कार’तू’स हैं जो उसने पु’लिस से लू’टे हैं. इसके अलावा अपने भी गो’ला-बा’रूद होंगे. यह पुराना अप’रा’धी है, इसलिए पुलिस को पता होगा कि कहां पर छुप सकता है. मुझे उम्मीद है कि ए’टी’एस और यूपी पु’लिस इसे ढूंढकर च’क’नाचू’र कर देगी और किसी उदारता का परिचय नहीं देगी.

पु’लिस के लोगों ने ही इसकी मदद की है. इस पर विक्रम सिंह ने कहा कि ऐसे पु’लिसक’र्मियों का अं’तिम संस्कार जे’ल में होगा. पु’लिस की उज्ज्वल व’र्दी पर ध’ब्बा लगाने वालों के खिला’फ स’ख्त का’र्र’वाई होनी चाहिए.

ये मेरे विभाग की गल’ती है कि थाने में घु’सकर मा’रने के बावजूद किसी ने उसके खिला’फ गवा’ही नहीं दी और वह बरी हो गया. पहले ऐसे लोगों को दौड़ाकर गो’ली मा’र दी जाती थी, इन्हें अंतिम छूट नहीं दी जाती थी. मेरे कार्यकाल में इस पर रासुका लगा था. उसका इ’लाज उसी वक्त कर देना चाहिए था और ऐसा ही होगा.