को’रोना संक’ट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्रियों से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इस बैठक में कोरोना वा’यरस की वजह से पैदा हुए हाला’त और अर्थव्यवस्था को लेकर बात की गई।
इसपर पीएम मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर टेंशन न लें, हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है। लेकिन इसे लेकर देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में व्याख्याता अरविंद सुब्रमण्यन का कुछ और ही कहना है। सुब्रमण्यन ने भारत को आने वाले आर्थिक संक’ट के लिए चेताया है।
सुब्रमण्यन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है और इस साल काफी हद तक निगेटिव ग्रोख देखने को मिलेगी जिसके लिए भारत को तैयार रहना चाहिए। सुब्रमण्यन ने कोरो’ना संकट को प्र’लय बताते हुए कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए भारत को अतिरिक्त 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जो की भारतीय जीडीपी का 5 प्रतिशत है।
सुब्रमण्यन ने कहा कि COVID-19 महामारी उस समय आई जब अर्थव्यवस्था पहले से ही संघर्ष कर रही थी। इस वर्ष के लिए आईएमएफ की वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत होने का अनुमान करते हुए उन्होंने कहा “भारत पहले से ही कमजोर हो रहा था, भारत में लॉकडाउन नीतियां उन्नत देशों की तुलना में कम गंभीर नहीं हैं। भारत की राजकोषीय प्रतिक्रिया जीडीपी की 1 प्रतिशत से कम है।
वहीं उन्नत देशों में जीडीपी का 8.5 प्रतिशत से अधिक की प्रतिक्रिया है। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि इस तथ्य को हम कैसे मान सकते हैं कि भारत एक अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था है। कैसे भारत की विकास दर उस परिमाण के आदेशों से कम नहीं हो सकती है जो आईएमएफ उन्नत देशों के लिए पेश कर रहा है।
मुझे लगता है कि भारत के लिए आईएमएफ के पूर्वानुमान बिल्कुल रहस्यमय और विचित्र हैं… हमें इस वित्तीय वर्ष में नकारात्मक, शायद काफी नकारात्मक, विकास दर की योजना बनानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) द्वारा अप्रैल में जारी “विश्व आर्थिक आउटलुक” रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि इस वर्ष भारत की आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत होगी। इतना ही नहीं रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2021-22 में भारत 7.4 प्रतिशत तक रिकवर करेगा।