भारत की शान हुआ करते थे ये आलीशान किले, आज है बॉर्डर के उस पार

आज हम आपको भारत की शान रहे उन 5 ऐतिहासिक किलों के बारे में बताएंगे, जो बंटवारे की वजह से पाकिस्तान में चले गए.


पाकिस्तान के झेलम शहर के दीना टाउन के पास रोहतास फोर्ट स्थित है. इसको शेरशाह सूरी ने साल 1540 से 1547 के बीच बनवाया था. कहा जाता है कि इसे बनााने में करीब 30 हजार लोग लगे थे. 12 दरवाजों वाले इस आलीशान किले पर मुगलों का भी अधिकार हुआ करता था.

रोहतास फोर्ट

लाहौर का रॉयल फोर्ट (शाही किला) करीब 20 हेक्टेयर में फैला है और यह पाकिस्तान के मशहूर एतिहासिक किलों में से एक है. माना जाता है कि यह किला साल 1560 में मुगल बादशाह अकबर ने बनवाया था. यह किला 1400 फीट लंबा और 1115 फीट चौड़ा है, रॉयल फोर्ट यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है.

रॉयल फोर्ट

अल्तीत फोर्ट करीब 900 साल पुराना है. आज यह पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बल्टिस्तान की हुंजा वैली के करीमाबाद में है. यह हुंजा स्टेट के राजाओं (जो मीर कहलाते थे) का किला हुआ करता था. एक समय में यह किला काफी जर्जर हो गया था, जिसके बाद आगा खान ट्रस्ट ने नॉर्वे और जापान की मदद से इसे दुरुस्त किया.


डेरावर फोर्ट पाकिस्तान के बहावलपुर के डेरा नवाब साहिब से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस किले को जैसलमेर के राजपूत राय जज्जा भाटी ने बनवाया था. इसकी दीवारें 30 मीटर ऊंची और इसका घेरा 1500 मीटर है. यह किला इतना आलीशान है कि चोलिस्तान रेगिस्तान में यह कई मील दूर से भी दिखता है.

डेरावर फोर्ट

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जमशोरो में लक्की पहाड़ पर स्थित रानीकोट फोर्ट को सिंध की दीवार भी कहा जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा किला है, जो लगभग 32 किलोमीटर में फैला हुआ है.

रानिकोट फोर्ट

इस किले को किसने बनवाया, इसे लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं. कोई कहता है कि यह किला 20वीं सदी की शुरुआत में बना था, तो कोई कहता है कि सन् 836 में सिंध के गर्वनर रहे पर्सियन नोबल इमरान बिन मूसा बर्मकी ने इस किले का निर्माण कराया था, लेकिन असल में इसे किसने बनवाया था, यह कोई नहीं जानता.