कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘भारतीय क्षेत्र पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ’ पर चर्चा के लिए संसदीय सत्र बुलाना चाहिए। सिंह ने ट्वीट किया, ‘भारतीय संसद में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर चर्चा के लिए पीएम को संसद का सत्र बुलाना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसी भी तथ्य को स्वीकार नहीं किया है।
हम समझते हैं कि मोदी, पंडित जवाहर लाल नेहरू नहीं हैं, लेकिन मुद्दे की गं’भीरता को देखते संसद में चर्चा की मांग करते हैं।’
ज्ञात हो, भारत और चीन के बीच सीमाओं पर काफी दिनों से वि’वाद चल रहा है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत भी हो रही है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारी सैन्य निर्माण को लेकर दोनों देशों के बीच वि’वाद गहराया। चीन पर आरोप है कि वह पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 5,000 से अधिक सैनिकों को लेकर आया। चीन ने इतना ही नहीं भारत से लगती सीमा पर तोपें और भा’री ह’थियार जमा किए। बताया गया कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीन ने बेस कैंप में तेजी से तोपों, टैंकरों और भारी सैन्य उपकरण के भं’डारण को बढ़ाया।
दिग्विजय ने याद दिलाई 1962 की ल’ड़ाई
दिग्विजय सिंह ने हाल में चल रहे भारत-चीन मस’ले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच तुलना करते हुए 1962 की ल’ड़ाई ध्यान में ला दी है। 1962 में भारत और चीन में यु’द्ध हुआ था।
इस युद्ध में भारत को जब’रदस्त हानि उठानी प’ड़ी थी। भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध को आजतक कोई नहीं भुला पाया है। यह एक ऐसी टीस है जो हर बार उभर कर सामने आ ही जाती है। इसकी कसक आज भी लोगों के दिलों में जिं’दा है। इस युद्ध का असर आज भी दोनों देशों के रिश्तों पर साफतौर से दिखाई देता है।
अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद भारत का यह पहला यु’द्ध था। एक माह तक चले इस युद्ध में भारत के 1383 सैनिक मा’रे गए थे जबकि 1047 घा’यल हुए थे। 1696 सैनिक ला’पता हो गए थे और 3968 सैनिकों को चीन ने गि’रफ्तार कर लिया था। वहीं चीन के कुल 722 सैनिक मा’रे गए थे और 1697 घा’यल हुए थे। 14 हजार फीट की ऊंचाई पर ल’ड़े गए इस यु’द्ध में भारत की तरफ से महज बारह हजार सैनिक चीन के 80 हजार सैनिकों के सा’मने थे।