लॉकडाउन के दौरान जिस तरह सड़क हा’दसों में प्रवासी मजदूरों की मौ’त हो रही है, उसको लेकर अब सरकार के खिलाफ बयानबाजी भी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 20 लाख मजदूर फंसे हुए हैं वे घर जाना चाहते हैं.
उनके पास जीने का कोई और तरीका नहीं है. रोज हादसे में उनकी मौ’त हो रही है. शनिवार को सड़क दुर्घ’टना में 26 लोगों की मौ’त हो गई. 16 लोगों के ऊपर से ट्रे’न गुजर गई. बच्चे अपने घर नहीं पहुंच पा रहे हैं. कोर्ट कब जागेगा और इन सब का जवाब मांगेगा?
भाजपा सोशल मीडिया विडीओ कहे :
“ 6 साल बेमिसाल “
सही कहा :नोटबंदी में गरीब को लूटा
नीरव मोदी , मेहुल चोकसी का क़र्ज़ा छूटा₹ में गिरावट आईं
आर्थिक मंदी घर घर में छाईमाइग्रेंट्स बेहाल पड़े हैं
मौत के शिकार बने हैं6 साल में नरक दिखाया
ये कलयुग तुम्हीं ने लाया— Kapil Sibal (@KapilSibal) May 17, 2020
कपिल सिब्बल ने हाल के दिनों में प्रवासी मजदूरों द्वारा झेली जा रही परेशानियों का जिक्र करते हुए लिखा, ‘दो मिलियन (20 लाख) प्रवासी मजदूर फंसे हैं. वो घर जाना चाहते हैं. वो अब इंतजार नहीं कर सकते. उनके पास पैसे नहीं बचे हैं कि वो अपना गुजारा कर सकें. रोज ये लोग म’’र रहे हैं. कल भी सड़क हा’दसा (26) हुआ, 16 लोगों की ट्रेन से कटकर मौ’त हो गई. बच्चे घर नहीं पहुंच पा रहे हैं. कोर्ट कब जागेगा और इन सबका जवाब मांगेगा?’
बता दें, को’रोना वा’’यरस महासंकट के बीच जारी लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अभी हाल ही में महाराष्ट्र से अपने घर जाने की चाह में पैदल निकले 16 मजदूर औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आ गए. पैदल चलते हुए थक कर ये मजदूर रेल पटरियों पर सो गए थे तभी अचानक एक मालगा’’ड़ी से क’ट कर इनकी मौ’त हो गई.
2million migrants stranded
Desperate to reach home
Can’t wait any more
No money left to surviveEvery day they die :
Accident (26) yesterday
16 run over by a train
Children before reaching homeWhen will courts wake up and ask for answers !
— Kapil Sibal (@KapilSibal) May 17, 2020
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि अगर मजदूर ट्रैक पर सो जाएं तो क्या किया जा सकता है? उन्होंने सरकार से पूछा कि जिन लोगों ने पैदल चलना शुरू कर दिया है, उन्हें कैसे रोका जाए? इसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया है कि सबके घर लौटने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन लोगों को अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी होगी, जो वो नहीं कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमलोग कैसे निगरानी कर सकते हैं कि सड़क पर कौन चल रहा है? राज्य निगरानी करने के लिए ही है. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकारें बसों का प्रबंध कर रही हैं. लेकिन अगर लोग गुस्से में सड़क पर चलने लग जाएं और अपनी बारी का इंतजार ही ना करें तो क्या किया जाए?
वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार और रेलवे को निर्देश दिया है कि कोई भी मजदूर पैदल घर वापस ना जाए. हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाए और सुनिश्चित करे कि मजदूरों को पैदल ना जाना पड़े.
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि अखबारों, टीवी पर विज्ञापन निकालें जाएं ताकि मजदूरों को पता चल सके. अदालत में रेलवे की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब भी दिल्ली सरकार उनसे ट्रेन उपलब्ध कराने को कहेगी, हम करवा देंगे.
दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें प्रवासी मजदूरों के पैदल घर जाने का मुद्दा उठाया गया था. बता दें कि लॉकडाउन की वजह से देश में सबकुछ बंद है, सार्वजनिक वाहन भी नहीं चल रहे हैं. ऐसे में प्रवासी मजदूरों को घर जाने के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
हाल ही में भारतीय रेलवे की ओर से श्रमिक ट्रेन और स्पेशल ट्रेनों का प्रबंध किया गया है. श्रमिक ट्रेन सिर्फ मजदूरों के लिए है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी हजारों की संख्या में मजदूर पैदल ही घर लौटने को मजबूर हैं.