तंजलि की आयुर्वेदिक दवा को’रो’निल की राह में अ’ड़’चनें कम नहीं हैं. अब दवा को मंजूरी देने वाली लाइ’सेंसि’ग अथॉ’रिटी ने ही कोरो’निल पर ते’व’र क’ड़े कर लिए हैं. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विभाग ने दि’व्य फार्मेसी को नो’टिस जारी कर दिया है जिसमें कहा गया है कि दवा के लेबल पर कोरो’ना वाय’रस के इलाज का भ्रा’म’क प्रचार किया जा रहा है जिसे कंपनी को तुरं’त ह’टा’ना होगा. ऐसा नहीं करने पर कार्र’वाई की चे’ता’वनी भी दी गई है.
नो’टिस में साफ किया गया है कि कोरो’ना किट के नाम पर तीन दवाओं को एक साथ बेचने का कोई ला’इसें’स इश्यू न’हीं किया गया था
नो’टिस में जवाब मांगा गया है कि किस आधार पर कोरो’निल को को’रो’ना वा’यरस का इलाज बताया गया. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विभाग ने पतंजलि की दवा को बुखार, सांस की बीमा’री के इलाज और इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की इजाजत दी थी. नो’टिस में पूछा गया कि जब कोरो’ना वाय’रस के इलाज के तौर पर इस दवा को मंजूरी नहीं है तो क्यों ना इस दवा को बेचने का लाइ’सेंस निर’स्त कर दिया जाए.
बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी ने मंगलवार को कोरो’निल नाम की एक किट लॉन्च की और दावा किया गया कि ये दवा कोरो’ना वाय’रस का इलाज कर सकती है. लॉन्च में 100 मरी’जों पर की गई एक स्टडी का भी हवाला दिया गया. दावे के मुताबिक, सभी मरी’ज इन आयुर्वेदिक दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हुए.
क्या है कोरोनिल दवा के तत्व
उत्तराखंड डिपार्टमेंट से मिले कागजों के मुताबिक, इन दवाओं में जो तत्व मौजूद हैं वो इस तरह से हैं.
गिलोय – इसे इम्यूनिटी बूस्टर और बुखार के इलाज में असरदार माना गया है.
अश्वगंधा – ये भी रोगों से ल’ड़’ने की ताकत यानी इम्युनिटी बढ़ाता है.
और तुलसी – इसे सांस से जुड़े इंफेक्शन के इलाज में कारगर माना गया है.
कागजों में कहीं भी कोरो’ना वाय’रस का नाम नहीं है.
दिव्य फार्मेसी को नो’टिस का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया गया है.