भारत के महान पूर्व फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का गुरुवार यानी 30 अप्रैल को कार्डियक अरेस्ट से नि’धन हो गया। वे 82 साल के थे। उन्होंने कोलकाता के एक अस्पताल में शाम 5 बजे अंतिम सांस ली।
चुन्नी गोस्वामी के परिवार में पत्नी और बेटा सुदिप्तो हैं। गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान थे। वे बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे।
चुन्नी गोस्वामी के नि’धन पर खेल जगत की अनेक हस्तियों ने शोक जाहिर किया है। उन्होंने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।
चुन्नी गोस्वामी बाईं ओर के भीतरी भाग और दाईं ओर के भीतरी किनारे पर (स्ट्राइकर पोजिशन) पर खेलते थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी उनके निधन पर शोक जताया है।
BCCI mourns the death of Subimal ‘Chuni’ Goswami, an all-rounder in the truest sense. He captained the Indian national football team & led to them to gold in the 1962 Asian Games. He later played first-class cricket for Bengal & guided them to the final of Ranji Trophy in 1971-72 pic.twitter.com/WgXhpoyLaB
— BCCI (@BCCI) April 30, 2020
बीसीसीआई ने ट्वीट कर कहा, ‘बोर्ड चुन्नी गोस्वामी के नि’धन पर शोक व्यक्त करता है। वे सच्चे मायनों में एक ऑलराउंडर थे। उन्होंने 1962 एशियाई खेलों में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की और गोल्ड मेडल जीता।
वे बंगाल के लिए रणजी मैच भी खेले। अपनी कप्तानी में उन्होंने टीम को 1971-72 रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाया था।’
परिवार के मुताबिक, वे पिछले कुछ समय से मधुमेह समेत कई बीमारियों से जूझ रहे थे। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले। बतौर क्रिकेटर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।
चुन्नी गोस्वामी को साल 1958 में वेटरंस स्पोर्ट्स क्लब कलकत्ता ने बेस्ट फुटबॉलर के अवार्ड से सम्मानित किया था। भारतीय डाक विभाग ने इसी साल जनवरी में उनके 82वें जन्मदिन पर उन पर डाक टिकट जारी किया था।
वे यह सम्मान पाने वाले तीसरे फुटबॉलर थे। डाक विभाग ने उनसे पहले गोस्थो पॉल (1998) और तालीमेरेन ओ (2018) के नाम पर भी डाक टिकट जारी किए थे।
चुन्नी गोस्वामी को 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 1964 एएफसी एशिया कप में इजरायल के बाद दूसरे स्थान हासिल किया था। उन्होंने हॉन्गकॉन्ग के खिलाफ भारत की 3-1 की जीत में तीसरा गोल दागा था। भारतीय टीम ने तब टूर्नामेंट का फाइनल खेला था।